स्टार्टअप को 25 करोड़ तक के निवेश पर एंजेल टैक्स नही

Mar 06, 2019

स्टार्टअप को 25 करोड़ तक के निवेश पर एंजेल टैक्स नही

उद्योग विहार (मार्च-2019) दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्टार्टअप पर राहतों की बौछारें कर दी हैं। जहां एक तरफ स्टार्टअप में निवेश पर एंजेल टैक्स का छूट दायरा बढ़ाया गया है, वही दूसरी तरफ स्टार्टअप के नियमों में बदलाव करके उसकी टैक्स छूट की अवधि को 10 साल तक बढ़ा दिया गया है। सबसे अहम यह है कि स्टार्टअप की परिभाषा में बदलाव किया गया है। अब जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से कम है यानी 100 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं उसको भी स्टार्टअप माना जाएगा। इन फैसलों के बाद कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने ट्वीट में कहा, किसी भी पात्र स्टार्टअप द्वारा जारी शेयरों अथवा जारी किए जाने वाले शेयरों से सभी निवेशकों से प्राप्त कुल 25 करोड़ रुपये तक की राशि पर छूट होगी। यानी 25 करोड़ रुपये तक पर एंजेल इनवेस्टमेंट पर छूट रहेगी। गौरतलब है कि सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम काफी अहम है। हाल ही में कई स्टार्टअप ने ऐसी शिकायत की थी कि उन्हें एंजेल इनवेस्टमेंट पर टैक्स नोटिस मिल रहे हैं, इससे उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है।

             ऐसे मिलेगी राहत

इसके अलावा, 100 करोड़ रुपए नेटवर्थ या 250 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों के पात्र स्टार्टअप में निवेश को आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (सात-बी) से छूट दी जाएगी। प्रवासियों, वैकल्पिक निवेश कोष-श्रेणी-1 द्वारा पात्र स्टार्टअप में 25 करोड़ रुपए की सीमा के ऊपर के निवेश को भी इस धारा तहत छूट मिलेगी।

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            जानकारों की राय

टैक्स एक्सपर्ट सुशील अग्रवाल का कहना है कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। दरअसल स्टार्टअप अपना कारोबार बढ़ाने के लिए बाहर से पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वे पैसे देने वाली कंपनी या संस्था को अपने शेयर जारी करती हैं। अधिकांश मामलों में यह शेयर असली कीमत के मुकाबले ज्यादा कीमत पर जारी किए जाते हैं। शेयरों की इस अतिरिक्त कीमत को इनकम माना जाता है। इस पर इनकम टैक्स लगाया जाता है। इसी इनकम टैक्स को एंजेल टैक्स कहा जाता है। अब एंजेल टैक्स की सीमा को बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये किया गया है। यानी अगर शेयरों की अतिरिक्त कीमत 25 करोड़ रुपये तक हुई तो उसपर टैक्स नहीं लगेगा। फिनटेक कंपनी पेनियरबाए के फाउंडर एंव सीईओ आनंद कुमार बजाज का कहना है कि इससे अब स्टार्टअप में इनवेस्टमेंट बढ़ेगा।

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            स्टार्टअप की परिभाषा में बदलाव

स्टार्टअप की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है। उन इकाइयों को स्टार्टअप माना जाएगा जो अपने पंजीकरण या स्थापना के बाद 10 साल तक परिचालन कर रही हैं। पहले यह समयसी मा सात साल थी। श्किसी भी इकाई को स्टार्टअप तभी माना जाएगा यदि उसका कारोबार पंजीकरण से लेकर अब तक किसी भी वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं हो। मौजूदा समय में यह 25 करोड़ रुपए था।