संस्थान में विश्वास धीरे-धीरे कम हो रहा है': सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

Sep 14, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in/

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक पीठ को बताया कि संस्था में विश्वास धीरे-धीरे कम हो रहा है। सिब्बल ने बेंच के समक्ष कहा, "जिस कुर्सी पर आप बैठते हैं, उसके लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है। यह एक ऐसी शादी है जिसे बार और बेंच के बीच नहीं तोड़ा जा सकता है। यहां कोई अलगाव नहीं है और एक बार हमें पता चलता है कि क्या हो रहा है कभी इस छोर पर और कभी दूसरे छोर पर। और यह मेरे जैसे व्यक्ति को परेशान करता है, जिसने इस अदालत के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।"
जस्टिस रस्तोगी ने जवाब दिया, "हम हमेशा कहते हैं कि बार और बेंच रथ का पहिया हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये दो पहिये हैं, भगवान जाने एक पहिया कहां जाता है और दूसरा पहिया कहां जाएगा जबकि रथ वहीं रहेगा। फिर भी हमें यह पता लगाना होगा कि हम सभी इस संस्था से संबंधित हैं और इस संस्था ने हमें सब कुछ दिया है तो हमारा बार से और हमें भी आत्मनिरीक्षण करने का अनुरोध है कि हम कैसे टिके रह सकते हैं। लोगों का विश्वास बना रहे इस पर काम करना होगा।"
सिब्बल ने जवाब दिया कि अगर बार और बेंच दोनों नियमों का पालन करेंगे तो स्थिति में विश्वास कायम रहेगा। यदि एक वादी को लगता है कि उसकी सुनवाई की गई है और कानून को सही तरीके से लागू किया गया है, तो विश्वास बना रहेगा, भले ही निर्णय उसके खिलाफ हो। सिब्बल ने कहा, "यह केवल एक तरह से हो सकता है कि हम इस छोर पर नियमों का पालन करते हैं और दूसरे छोर पर भी ऐसा ही होता है। विश्वास बहाल करने का यही एकमात्र तरीका है, कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अगर मैं अदालत में आता हूं और मुझे विश्वास है कि चाहे कुछ भी हो, चाहे निर्णय मेरे खिलाफ हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता- एक मुझे सुना गया, दूसरा कानून बिना किसी डर और पक्षपात के सही तरीके से लागू किया गया। अगर ये तीन चीजें होती हैं तो विश्वास बना रहेगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हारते हैं या जीतते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि संस्था में हमारा विश्वास बना रहे, जो धीरे-धीरे कम हो रहा है।"
जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, "हारने वाला पक्ष जो महसूस करता है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हारने वाला पक्ष क्या महसूस करता है। हारने वाले पक्ष को भी संतुष्ट होकर वापस जाना चाहिए।" सिब्बल ने ये टिप्पणी सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की अपील पर बहस करते हुए 2017 में सुआर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव को इस आधार पर अलग रखने के खिलाफ की थी कि वह कम उम्र का था। सिब्बल ने हाल ही में तब सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि उनको सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं बची है।
उन्होंने जाकिया जाफरी और पीएमएलए मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की आलोचना करते हुए ये टिप्पणी की थी। हाल ही में, भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने एक वकील द्वारा सिब्बल के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही की मंजूरी की मांग करने वाले एक आवेदन को खारिज कर दिया था। एजी ने कहा कि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल द्वारा दिए गए बयान इसलिए हैं ताकि अदालत न्याय वितरण प्रणाली के व्यापक हित में बयानों पर ध्यान दे सके। एजी के अनुसार, बयानों का उद्देश्य अदालत को बदनाम करना या संस्था में जनता के विश्वास को प्रभावित करना नहीं था। तदनुसार सहमति को अस्वीकार कर दिया गया था।

आपकी राय !

Gujaraat में अबकी बार किसकी सरकार?

मौसम