सरकारी बैंकों के निजीकरण से पहले दो कानूनों में संशोधन करेगी मोदी सरकार

Mar 11, 2021
Source: hindi.news18.com

नई दिल्ली. सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेचने से पहले केंद्र सरकार को इस साल दो कानूनों में संशोधन करना होगा. इन सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार को बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट 1970 (Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970) और बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1980 में संशोधन करना पड़ेगा. ये दोनों कानून बैंकों के राष्ट्रीयकरण से संबंधित हैं. यही कारण है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण से पहले इन दोनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करना होगा.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सरकार इन दोनों कानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) में लाएगी, क्योंकि मौजूदा सत्र यानी बजट सत्र के लिए सरकार विधायी कार्यों की घोषणा पहले ही कर चुकी है. इस वजह से ये संशोधन मॉनसून सत्र में पेश हो सकते हैं. आपको बता दें कि बजट सत्र में 38 विधेयक (Bills) चर्चा के लिए प्रस्तावित हैं. इनमें फाइनेंस बिल 2021, सप्लीमेंटरी डिमांड फॉर ग्रांट्स 2021, नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट बिल (NaBFID Bill) और क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) शामिल हैं.

इन बैंकों का होगा प्राइवेटाइजेशन
केंद्र सरकार ने उन 4 सरकारी बैंकों को शॉर्टलिस्ट कर लिया है जिनका प्राइवेटाइजेशन होना है. जिन बैंकों को निजीकरण के लिए चयनित किया गया है, उनमें उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India- BOI), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) शामिल हैं. समाचार एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 4 में 2 बैंकों का प्राइवेटाइजेशन अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में हो सकता है. बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया 5 से 6 महीने में शुरू होने की उम्मीद है.

पहले मिड-साइज बैंकों का निजीकरण होगा
सरकार पहले मिड-साइज बैंकों का निजीकरण करेगी, जहां काम करने वाले लोगों की संख्या कम है. बैंक ऑफ इंडिया (BOI) में 50,000 को करीब कर्मचारी काम करते हैं और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में काम करने वाले लोगों की संख्या 33,000 के करीब है. वहीं, इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13,000 कर्मचारी काम करते हैं. इस वजह से उम्मीद है कि सरकार पहले बैंक ऑफ महाराष्ट्र के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है, क्योंकि कर्मचारियों की संख्या कम होने से सरकार को कम विरोध झेलना पड़ेगा. बैंकों के प्राइवेटाइजेशन में सरकार बैंक में कर्मचारियों की संख्या, ट्रेड यूनियन का दबाव और इसके राजनीतिक असर का आकलन करने के बाद ही अंतिम फैसला लेगी.

 

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