देश में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित, महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में सबसे ज्यादा

Nov 12, 2021
Source: https://www.livehindustan.com

भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और उनमें से आधे से अधिक गंभीर की श्रेणी हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी देते हुए कहा कि कुपषोति बच्चों के मामले में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात टॉप पर हैं। मंत्रालय ने चिंता जताते हुए कहा है कि कोविड महामारी से गरीब से गरीब व्यक्ति में स्वास्थ्य और पोषण संकट और बढ़ सकता है। 

मंत्रालय ने 14 अक्टूबर 2021 तक के दिए अपने अनुमान में बताया है कि देश में 17,76,902 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे और 15,46,420 मध्यम रूप से गंभीर कुपोषित (एमएएम) हैं। 14 अक्टूबर, 2021 तक के बच्चे। मंत्रालय ने पीटीआई के एक आरटीआई प्रश्न के जवाब में कहा, ये आंकड़े देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं। ये आंकड़े अपने आप में खतरनाक हैं, लेकिन पिछले नवंबर के आंकड़ों से तुलना करने पर ये और भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। 

एक साल में 91 प्रतिशत की वृद्धि

नवंबर 2020 और 14 अक्टूबर, 2021 के बीच एसएएम बच्चों की संख्या में 91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है जो अब 9,27,606 (9.27 लाख) से बढ़कर 17.76 लाख हो गई है। हालांकि, दोनों साल के आंकड़े अलग-अलग तरीकों से तैयार किए गए हैं। नए आंकड़े पोषम ट्रैकर के जरिए तैयार किए गए हैं जहां, आंगनवाड़ियों द्वारा सीधे नंबर दर्ज किए गए थे और केंद्र की ओर से उसके एक्सेस किया गया। इसमें बच्चों के आयु वर्ग को नहीं बताया गया है। 

स्वास्थ्य पड़ता है बुरा असर, मौत की संभावना ज्यादा

एमएएम और एसएएम दोनों का बच्चे के स्वास्थ्य पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव पड़ता है। एसएएम से पीड़ित बच्चों का वजन उनकी ऊंचाई के हिसाब से बहुत कम होता है, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बीमारियों के मामले में उनके मरने की संभावना नौ गुना अधिक होती है। एमएएम से पीड़ित लोगों को भी बचपन में रुग्णता और मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है।

कहा कितने कुपोषित बच्चे?

आरटीआई के जवाब कहा गया है कि महाराष्ट्र में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे अधिक 6,16,772 (6.16 लाख) दर्ज की गई, जिसमें 1,57,984 (1.57 लाख) एमएएम बच्चे और 4,58,788 (4.58 लाख) एसएएम बच्चे हैं। सूची में दूसरे नंबर पर बिहार है जहां 4,75,824 (4.75 लाख) कुपोषित बच्चे (3,23,741 एमएएम बच्चे और 1,52,083 एसएएम बच्चे) हैं। तीसरे नंबर पर गुजरात है जहां पर 1,55,101 (1.55 लाख) एमएएम बच्चों और 1,65,364 (1.65 लाख) एसएएम बच्चे हैं। जबकि इनकी कुल संख्या 3,20,465 है।

 

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