मराडु फ्लैट मामला सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आदेश के उल्लंघन के लिए केरल के मुख्य सचिव व्यक्तिगत तौर पर होंगे जिम्मेदार

Sep 24, 2019

मराडु फ्लैट मामला सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आदेश के उल्लंघन के लिए केरल के मुख्य सचिव व्यक्तिगत तौर पर होंगे जिम्मेदार

सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कोच्चि के मराडु स्थित अपार्टमेंट को ढहाये जाने के मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को राज्य के मुख्य सचिव को मौखिक चेतावनी दी कि तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड ) की अधिसूचना के तहत प्रतिबंधित इलाकों में अनधिकृत निर्माण के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जायेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट्ट की पीठ के समक्ष मुख्य सचिव टॉम जोस व्यक्तिगत रूप से आज पेश हुए थे। जस्टिस मिश्रा ने कोच्चि के मराडु में पांच अपार्टमेंट परिसरों को ढहाये जाने के संबंध में गत आठ मई के न्यायालय के आदेश पर अमल नहीं किये जाने को लेकर केरल सरकार से गहरी नाराजगी जतायी। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "हम वास्तव में हतप्रभ हैं। राज्य सरकार ने अवैध निर्माण के खिलाफ क्या कदम उठाये हैं? तटीय इलाकों में यदि कोई आपदा आती है, तो सबसे पहले इन इमारतों में रहने वाले परिवार प्रभावित होंगे। (इसके लिए) आपके कार्यालय को जिम्मेदार माना जायेगा।" कोर्ट ने केरल सरकार के हलफनामे पर जताया असंतोष न्यायालय ने उपलब्ध विकल्प के अध्ययन के बाद अपार्टमेंट ढहाये जाने के लिए थोड़े और समय की मांग को लेकर केरल सरकार द्वारा दिये गये हलफनामे पर भी असंतोष जताया। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "आपने जिस तरीके से हलफनामा दायर किया है, उससे हम आपका इरादा भांप सकते हैं। आप स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। आपका रवैया आदेश की अवहेलना करने वाला है।" न्यायालय ने केरल में हाल की बाढ़ की त्रासदी का उल्लेख किया और कहा कि किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि इमारतों को ढहाने के लिए विष्फोटकों का इस्तेमाल किया जाना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। न्यायालय मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगा। गत छह सितम्बर को पीठ ने राज्य सरकार को आदेश पर अमल से संबंधित रिपोर्ट पेश करने के लिए 20 सितम्बर तक का समय दिया था। न्यायालय ने कहा था कि यदि राज्य सरकार यह रिपोर्ट पेश करने में असफल रहती है तो मुख्य सचिव को 23 सितम्बर को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होना होगा। यह आदेश कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए तब जारी किया था,

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जब उसने पाया कि उसके गत आठ मई के फैसले के एक माह के भीतर भी अमल संबंधी रिपोर्ट पेश नहीं की गयी थी। कोर्ट ने 10 जुलाई को खारिज की थी बिल्डरों की पुनरीक्षण याचिका गत 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई के फैसले के खिलाफ बिल्डरों की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि न्यायालय ने अपने आठ मई के फैसले में तटीय नियमन क्षेत्र संबंधी अधिसूचना के उल्लंघन के लिए कोच्चि के मराडु स्थित पांच अपार्टमेंट कॉम्पलेक्स को ढहाने का निर्देश दिया था। इससे पहले न्यायालय ने अपार्टमेंट ढहाये जाने पर अवकाशकालीन पीठ द्वारा अंतरिम रोक लगाये जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए निवासियों की रिट याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अपार्टमेंट के निवासियों ने यह कहते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि अपार्टमेंट को ढहाने का आदेश उनका पक्ष सुने बिना ही जारी किया गया। अपार्टमेंट ढहाने का गत आठ मई का आदेश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने अदालत द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की उस रिपोर्ट के बाद सुनाया था जिसमें कहा गया था कि संबंधित इलाका सीआरजेड-3 के तहत आता है, जहां इस तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि बिल्डिंग बनाने की इजाजत तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की 'अनिवार्य मंजूरी' के बिना ही दी गयी थी।

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