Covid Vaccine: भारत की कोशिश, सिर्फ वैक्सीन निर्माण में पेटेंट से छूट नहीं, 'ट्रेड सेक्रेट' भी चाहिए

May 26, 2021
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली, राजीव कुमार। यूं तो वैश्विक स्तर पर वैक्सीन उत्पादन के लिए वैक्सीन कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट देने पर ही विश्व बंटा हुआ है। कुछ विकसित देश अड़ियल रुख नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन भारत की तैयारी सिर्फ ट्रिप्स में छूट पर दबाव बनाने की नहीं बल्कि इस काम को सही मायने में अंजाम देने के लिए 'ट्रेड सेक्रेट' साझा करने पर भी होगा। वैक्सीन के कच्चे माल, क्वालिटी कंट्रोल व रेगुलेटरी अप्रूवल जैसी तमाम चीजों के लिए वैक्सीन निर्माता कंपनी की तरफ से हामी भरने पर ही वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन संभव हो सकेगा। नई दिल्ली, राजीव कुमार। यूं तो वैश्विक स्तर पर वैक्सीन उत्पादन के लिए वैक्सीन कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट देने पर ही विश्व बंटा हुआ है। कुछ विकसित देश अड़ियल रुख नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन भारत की तैयारी सिर्फ ट्रिप्स में छूट पर दबाव बनाने की नहीं बल्कि इस काम को सही मायने में अंजाम देने के लिए 'ट्रेड सेक्रेट' साझा करने पर भी होगा। वैक्सीन के कच्चे माल, क्वालिटी कंट्रोल व रेगुलेटरी अप्रूवल जैसी तमाम चीजों के लिए वैक्सीन निर्माता कंपनी की तरफ से हामी भरने पर ही वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन संभव हो सकेगा। 

कच्चा माल, क्वालिटी कंट्रोल, रेगुलेटरी अप्रूवल जैसी तमाम बातों को सुनिश्चित करना चाहता है भारत

डब्ल्यूटीओ के ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटलेक्चुअल प्रापर्टी (ट्रिप्स) काउंसिल की बैठक में भारत अपने समर्थक देशों के साथ इन मुद्दों पर रजामंदी की वकालत करेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक 30 मई की ट्रिप्स काउंसिल की बैठक में बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट को लेकर कोई फैसला होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि अभी यूरोप के कई महत्वपूर्ण देश भारतीय दलील के समर्थन में नहीं आए हैं। हालांकि वैक्सीन के बौद्धिक संपदा अधिकार से छूट मामले में अमेरिका के बाद चीन के भी भारत के समर्थन में आने से भारत का पक्ष काफी मजबूत होता जा रहा है। 

30 मई को डब्ल्यूटीओ की ट्रिप्स काउंसिल की बैठक में भारत के साथ अन्य देश भी इन मुद्दों को उठाएंगे

आगामी जून में फिर से होने वाली डब्ल्यूटीओ की बैठक में ही कोई फैसला संभव है। भारत की दलील है कि सिर्फ वैक्सीन निर्माण के पेटेंट में छूट देने से बात नहीं बनेगी। इसके लिए वैक्सीन निर्माण के लिए कच्चे माल, क्वालिटी कंट्रोल जैसे कई मसलों से छूट देनी पड़ेगी। यह छूट कम से कम तीन साल के लिए होगी तभी वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन संभव हो सकेगा। इसके बाद ट्रिप्स काउंसिल इसकी समीक्षा करेगी और जरूरत पड़ने पर इस छूट की अवधि बढ़ाई जाएगी। छूट मिलने के एक साल तक काउंसिल किसी प्रकार की समीक्षा नहीं करेगी।

वैक्सीन उत्पादन में कच्चे माल की महत्ता को समझते हुए ही भारत अपने पेटेंट कानून के तहत कंप्लसरी लाइसेंसिंग के प्राविधान का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। क्योंकि कंप्लसरी लाइसेंसिंग के इस्तेमाल से भारतीय कंपनियों को वैक्सीन बनाने की इजाजत तो मिल जाएगी, लेकिन कंप्लसरी लाइसेंसिंग से कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो सकेगी। वैक्सीन के उत्पादन में कच्चा माल काफी अहमियत रखता है क्योंकि अमेरिका व यूरोप के कुछ देशों में स्थित कंपनियां वैक्सीन के कच्चे माल को तैयार करने के लिए विभिन्न प्रकार के आइटम की आपूर्ति करती हैं। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट भी कच्चे माल के लिए अमेरिका पर निर्भर है। 

 

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