एयरपोर्ट व उड़ानों में अनिवार्य हो भारतीय संगीत: आइसीसीआर

Dec 28, 2021
Source: https://www.jagran.com

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मांग पर विशेष दिलचस्पी दिखाई है और खुद आइसीसीआर आकर इसके अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य विनय सहस्त्रबुद्धे समेत देश के मुर्धन्य संगीतज्ञों से इसका ज्ञापन लिया। किसी एयरपोर्ट परिसर में अल सुबह पहुंचे और वहां गुंजते सुमधुर भोर का राग भैरव मन को तरोताजा कर दें।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। देश के किसी एयरपोर्ट परिसर में अल सुबह पहुंचे और वहां गुंजते सुमधुर भोर का राग "भैरव' मन को तरोताजा कर दें। इसी तरह कोलकाता के लिए उड़ान लें और उसमें बंगाल का प्रसिद्ध लोकगीत बाउज स्वागत करता मिले तो आश्चर्य में मत पड़िएगा, क्योंकि आने वाले दिनों में यह संभव हो सकता है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर) ने इस ओर उड्डयन मंत्रालय का ध्यान आकर्षित कराया है और उससे भारतीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की व्यवस्था करने की मांग की है।

उड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मांग पर विशेष दिलचस्पी दिखाई है और खुद आइसीसीआर आकर इसके अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य विनय सहस्त्रबुद्धे समेत देश के मुर्धन्य संगीतज्ञों से इसका ज्ञापन लिया। ज्ञापन में मांग की गई है कि भारतीय संगीत (लोक, शास्त्रीय व इंस्ट्रूमेंटल) को बजाने के लिए भारतीय उड्डन कंपनियों को आदेशित किया जाएं।

विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि विदेशी कंपनियों के फ्लाइट में देखते हैं कि वे अपने यहां के संगीत को बढ़ाते हैं, जैसे अमेरिका की एयरलाइंस जैज म्यूजिक तो आस्ट्रेलिया की एयरलाइंस मोजार्ट बजाती है। हमारे यहां की उड्डयन कंपनियां भी उन्हीं विदेशी संगीत को प्राथमिकता देती है। जबकि हमारे यहां गीत-संगीत का हजारों साल पुराना विपुल भंडार है। ये हमारी सांस्कृति विरासत से जुड़े हैं। इसकी लोकप्रियता पूरे विश्व में है। हमें इसे बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिक्कत यह है कि कई बार एयरलाइंस में बजते विदेशी गीत-संगीत समझ में भी नहीं आते और उससे आनन्द नहीं आता है। तो भी हम पश्चिमी संगीत को ही बढ़ावा देते हैं।

अगर उसकी जगह हम समृद्ध भारतीय संगीत को सुनाएंगे तो इससे लोगों में इसके प्रति दिलचस्पी जगेगी और इससे संगीत को बढ़ावा मिलेगा। शास्त्रीय गायिका मंजुषा पाटिल कुलकर्णी ने कहा कि संगीत में कोई बंधन नहीं है। ये भाषा से परे हैं। भोर, दोपहर शाम व रात तक के लिए राग है। इसे ही बजाया जाए तो कितना अच्छा होगा। इससे हर कोई जुड़ा महसूस करेगा, क्योंकि इसमें शोर नहीं है। लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि कितना अच्छा लगेगा जब मुंबई में उतरें और वहां का लोक गीत स्वागत करता मिले।

पंजाब, आसाम, उत्तर प्रदेश व बंगाल समेत सभी राज्यों का भी अपना लोकगीत है। इससे बेहतर अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने का और माध्यम नहीं हो सकता है। गीतकार अनु मलिक, शास्त्रीय गायक पं. संजीव अभयंकर, वसीफुद्दीन डागर, पं. शौनक अभिषेकी व रीटा गांगुली समेत अन्य ने भी अपने विचार रखें।

साहित्य की तरह आयोजित हो संगीत महोत्सव: सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साहित्य महोत्सवों की तरह देशभर में संगीत महोत्सवों के आयोजन पर जोर देते हुए कहा कि हम इसके जरिए अपनी हजारों साल पुरानी संगीत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचा सकेंगे। इस तरह के संगीत आयोजन जगह-जगह हो और मुर्धन्य कलाकार एक साथ एक मंच पर आएं तो इससे इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ेगी।

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