न्यायाधीशों के सरकार समर्थक या खिलाफ होने में कुछ भी गलत नहीं : डीएन पटेल
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दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने कहा कि न्यायाधीश श्रमिक समर्थक कर्मचारियों के समर्थक सरकार के समर्थक और सरकार के खिलाफ हो सकते हैं। लोग भले ही इसकी आलोचना कर रहे हैं लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। न्यायाधीशों के सरकार समर्थक या सरकार के खिलाफ होने में कुछ भी गलत नहीं है। न्यायाधीशों का उनके समक्ष आने वाले मुद्दों के प्रति अपना दृष्टिकोण होता है और यह कानून के विकास में सहायक भी होता है। ये बातें दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने शुक्रवार को आयोजित अपने विदाई समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश श्रमिक समर्थक, कर्मचारियों के समर्थक, सरकार के समर्थक और सरकार के खिलाफ हो सकते हैं। लोग भले ही इसकी आलोचना कर रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इनसे संबंधित निर्णय हमेशा ही कानून के विकास में मददगार होते हैं
बता दें कि 12 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश को केंद्र सरकार ने चार साल के कार्यकाल के लिए दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीएसएटी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है। कार्यक्रम में डीएन पटेल ने कहा कि कानून बनाने के लिए संसद है और कानून के अभाव में न्यायिक सक्रियता व न्यायिक संयम के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। न्याय और कानून के बीच अगर कोई अंतर है तो एक न्यायाधीश को इस अंतर को भरना होगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का प्राथमिक कार्य न्यायिक आदेशों के माध्यम से न्याय प्रदान करना है। समारोह में न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश का गतिशील दृष्टिकोण ही है कि सर्वोच्च न्यायालय व अन्य हाई कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट में हुई हाईब्रिड सुनवाई की तारीफ की। समारोह में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित माथुर आदि उपस्थित रहे।
कार्यकाल में दिए कई अहम निर्णय
न्यायमूर्ति पटेल ने 24 सितंबर 2021 को रोहणी कोर्ट परिसर में हुई गोलाबारी के मामले में 24 नवंबर 2021 को अदालत परिसरों में सुरक्षा को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए थे। उन्होंने आइपीएस राकेश अस्थाना को सेवानिवृत्ति के चार दिन पहले पुलिस आयुक्त बनाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि उनके चयन में कोई अनियमितता व अवैधता नहीं थी। इसके अलावा सेंट्रल विस्टा परियोजना को महत्वपूर्ण और आवश्यक बताते हुए उन्होंने 31 मई 2021 को फैसला सुनाया था। परियोजना के निर्माण कार्य को जारी रखने की अनुमति देते हुए उन्होंने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। वहीं, तीन नवंबर 2020 को तीस हजारी अदालत में पुलिस व अधिवक्ताओं में मारपीट होने का संज्ञान लेकर न्यायमूर्ति पटेल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से इसकी न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया था।