सड़क से हटेंगे हजारों ट्रक, बचेगा करोड़ों लीटर डीजल; सुधरेगा पर्यावरण

Aug 13, 2021
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली/रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। 10 घंटे में 700 किलोमीटर। पहले तकरीबन 30 घंटे लग जाते थे एक ट्रक को इतनी दूरी तय करने में लेकिन अब डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर कार्पोरेशन आफ इंडिया (डीएफसीसीआइ) उत्तर भारत में भरे ट्रकों की ढुलाई के लिए तैयार है। इसी माह न्यू रेवाड़ी से गुजरात के न्यू पालनपुर स्टेशन के बीच भरे ट्रकों की बीआरएन फ्लैट वैगन से ढुलाई शुरू होने जा रही है।

इससे पहले पूर्वांचल में इंडियन रेलवे व दक्षिण में कोंकण रेलवे यह सुविधा शुरू कर चुका है। खास बात हजारों ट्रक सड़कों से हट जाएंगे। करोड़ों लीटर डीजल जलने से बचेगा, यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

कोंकण में चिंतित है रोरो सेवा: भरे ट्रकों को सीधे रेलवे के वैगन पर लोड करके भेजना रोरो (रोल आन रोल आफ) सेवा कहलाता है। कोंकण रेलवे की यह सेवा र्चिचत है। बिहार में भी वर्ष 2016 में ऐसा प्रयोग हो चुका है, मगर डीएफसी पर पहली बार यह शुरुआत होने जा रही है। डीएफसी पर दो कीर्तिमान पहले बन चुके हैं। पिछले वर्ष जहां पीएम मोदी ने न्यू अटेली स्टेशन से डबल स्टैक (सामान्य से दो गुना लंबाई की डबल डेकर मालगाड़ी) कंटेनर ट्रेन को झंडी दिखाई थी वहीं, इस वर्ष सेना की आयुद्ध सामग्री भेजने का सफल ट्रायल हो चुका है। अब भरे हुए सामान्य ट्रकों को भेजने का ट्रायल इस माह किसी भी दिन संभव है। इसके लिए बीआरएन (बोगी ओपन फ्लैट वैगन रेल ट्रक) डिजाइन के फ्लैट वैगन देश में ही तैयार करवाए हैं। रोरो सेवा से सड़कों पर ट्रकों का दबाव कम होगा। करोड़ों लीटर डीजल बचेगा। बड़ा लक्ष्य पूरा करने के लिए डीएफसीसीआइ की टीम इको फ्रेंडली भूमिका बढ़ाने में जुट चुकी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अधिकारी डा. डी साहा ने बताया कि डीएफसी ट्रैक पर मालगाड़ियों से भरे ट्रकों की ढुलाई पर्यावरण संरक्षण के लिए क्रांतिकारी कदम होगा। इस प्रयोग से न केवल लाखों गैलन डीजल की बचत होगी बल्कि ट्रकों व अन्य वाहनों के धुएं से निकलने वाले कार्बन का उत्सर्जन काफी कम हो जाएगा। आधुनिक तकनीक से वाहनों में इंजनों का स्तर अवश्य उन्नत हुआ है, मगर अभी भी ऐसे लाखों वाहन हैं, जो कच्चा धुंआ फेंक रहे हैं। इससे वातावरण में कार्बन मोनोक्साइड जैसी विषैली गैसें भी घुल रही है।

 

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