आंदोलन के नाम पर सड़क बंद करने की समय सीमा तय हो

Apr 05, 2021
Source: https://www.jagran.com/

विरोध और आंदोलन जायज है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन इसके नाम पर सड़क बंद कर लाखों लोगों की जिंदगी को नासूर बना देना किसी भी रूप में सही नहीं है। आंदोलनकारियों को यह नहीं पता होता कि उनका यह कदम आम लोगों की जिंदगी में कितनी दुश्वारियां लाता है। किसी के जीवन का ताना-बाना तक ध्वस्त हो जाता है तो कोई मौत के मुंह में समा तक जाता है। अब समय आ गया है कि आंदोलन के नाम पर सड़क बंद करने की समय सीमा तय होनी ही चाहिए।

गाजीपुर और शाहीन बाग में सड़क बंद किए जाने से रोजाना खुद और अन्य लोगों की मुश्किलों व पीड़ा को देख नोएडा निवासी मोनिका भारद्वाज से रहा नहीं गया। उपरोक्त सवालों को उठाते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। जिस पर नौ अप्रैल को सुनवाई होनी है। मोनिका जहां सिंगल पैरेंट हैं वहीं उन्हें चिकित्सकीय दिक्कतें भी हैं। वह नोएडा सेक्टर 168 में रहती हैं और सेक्टर-63 में उनका कार्यालय है। एक कंपनी में मार्केटिंग प्रबंधक के रूप में कार्यरत मोनिका को आमतौर पर रोजाना दिल्ली से लेकर फरीदाबाद और गुरुग्राम 

जाना होता है। जिससे उन्होंने शाहीन बाग से लेकर गाजीपुर में सड़क बंद करने की पीड़ा को झेला है। गाजीपुर बार्डर पर अभी भी समस्या बरकरार है।

वह कहती हैं कि आंदोलन के नाम पर शाहीन बाग और गाजीपुर में सड़क बंद किए जाने का अबतक समय जोड़ा जाए, तो यह करीब 300 दिन बैठता है। इतने लंबे समय तक लोगों ने परेशानी झेली है और आगे भी समाधान कब होगा पता नहीं है। ऐसे में विरोध और आंदोलन के नाम पर सड़क बंद करने की समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए। अनावश्यक रूप से सड़क बंद करने वालों के लिए सजा और जुर्माना लगाए जाने का प्रविधान होना चाहिए। इसके लिए कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए।

उनका कहना है कि सड़क बंद करने का चलन दिल्ली के शाहीन बाग से शुरू हुआ। जो दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर बदस्तूर जारी है। हालत ऐसी ही रही तो एक दिन पूरे देश में सड़कों को बंद किए जाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जो काफी भयावह स्थिति का संकेत दे रहा है।

 

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