हरियाणा में निजी सेक्टर में हरियाणवियों को 75% आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक, सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

Feb 04, 2022
Source: https://www.jagran.com

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की भाजपा जेजेपी सरकार को झटका दिया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के राज्य में निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी है ।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 15 जनवरी से लागू रोजगार गारंटी कानून पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है और प्रदेश सरकार से इस पर जवाब मांगा है। रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्राविधान है। इस कानून को लागू कराने में प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।

राज्यपाल ने इस बिल को अपने पास रोक लिया था और मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मुलाकात के बाद मामूली संशोधन के बाद कानून पर अपने हस्ताक्षर किए थे। हरियाणा में रोजगार गारंटी कानून भाजपा व जजपा गठबंधन सरकार के संयुक्त साझा कार्यक्रमों का हिस्सा है। पहले यह कानून 50 हजार तक की नौकरियों पर लागू होना था, लेकिन उद्यमियों के साथ वार्ता के कई दौर के बाद प्रदेश सरकार इस कानून को 30 हजार रुपये तक की नौकरियों पर लागू करने के लिए मान गई थी।

इस कानून का सबसे अच्छा और लचीला पक्ष यह है कि तकनीकी पदों पर यदि हरियाणा के युवा अपनी मजबूत दावेदारी पेश नहीं कर पाते तो कंपनी को बाहर से कर्मचारी लेने का पूरा अधिकार है। गुरुग्राम व फरीदाबाद के कई औद्योगिक संगठनों ने इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई थी। इस कानून पर रोक को प्राइवेट सेक्टर की बड़ी जीत माना जा रहा है, लेकिन उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक ट्वीट के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि कानून के पक्ष में हरियाणा सरकार पूरी मजबूती के साथ हाई कोर्ट में लड़ाई लड़ेगी।

प्रदेश सरकार इस कानून को लागू कराने को लेकर कितनी गंभीर है, इसका पता तब चलता है, जब केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल तुषार मेहता गठबंधन सरकार की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए। हाई कोर्ट की डिविजन बैंच पर आधारित न्यायाधीश जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन ने कानून के अमल पर स्टे आर्डर जारी किया है। हाई कोर्ट के स्थगनादेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की जाएगी। एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन के कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है।

कानून की यह धारा उद्यमियों के हक में

इस बीच हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम तो सबको यह स्पष्ट होना चाहिए कि उपरोक्त कानून लागू होने के 10 वर्षों तक ही अस्तित्व में रह सकता है, जैसा कि इसकी मौजूदा धारा 1(4) में साफ उल्लेख है। हालांकि प्रदेश सरकार बिना कानून में संशोधन किए इसके दायरे में आने वाली प्राइवेट नौकरियों की अधिकतम वेतन सीमा को घटा सकती है, चूंकि इस कानून की धारा तीन और चार में प्रदेश सरकार इसके लिए पूर्णतया सक्षम है। कानून की धारा 2 (जी) में हरियाणा के लोकल युवा (उम्मीदवार) से अभिप्राय है कि वह हरियाणा राज्य का अधिवासी (डोमिसाइल) हो। 14 जनवरी 2021 को राज्य सरकार द्वारा हरियाणा के स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए यहां रहने की न्यूनतम अवधि को 15 वर्षों से घटाकर पांच वर्ष कर दिया है

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