मरीजों को मरते देखते रहे, पर 10 वेंटिलेटर का नहीं किया उपयोग

May 31, 2021
Source: https://www.jagran.com/

धनंजय वर्मा, साहिबाबाद :

कोरोना की दूसरी लहर में अस्पतालों में वेंटिलेटर के लिए भटकते-भटकते सैकड़ों मरीजों ने दम तोड़ दिया। इस दौरान राजेंद्र नगर सेक्टर- दो स्थित राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल में 10 वेंटिलेटर धूल फांक रहे थे। इसी अस्पताल में ही 15 दिन में 28 लोगों ने कोरोना से दम तोड़ दिया लेकिन वेंटिलेटर का प्रयोग नहीं किया गया। यदि अस्पताल में इन वेंटिलेटर का इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में प्रयोग होता तो कई मरीजों की जान बचाई जा सकती थी। मरते रहे लोग नहीं की व्यवस्था : ईएसआइसी अस्पताल में 20 अप्रैल को पहली और पांच मई तक 28 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। अस्पताल में फरवरी 2020 में ही 10 बेड का हाई डेपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) शुरू किया गया था। इसे आइसीयू में बदलने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए वेंटिलेटर भी आ गए थे। छह वेंटिलेटर गाजियाबाद जिला प्रशासन ने दिए थे। ईएसआइसी अस्पताल के सूत्रों की मानें तो 10 वेंटिलेटर आइसीयू बनाए जा रहे कमरे में हैं।

हालात को देखते हुए वेंटिलेटर का सही उपयोग नहीं किया गया, जबकि अस्पताल में दो एनेस्थीसिया व एक चेस्ट स्पेशलिस्ट समेत 45 डाक्टर व सौ से अधिक अन्य मेडिकल स्टाफ हैं। 40 मरीजों को किया गया रेफर : ईएसआइसी अस्पताल से 40 मरीजों को गंभीर हालत में दूसरे अस्पतालों में रेफर किया गया। इनमें से कई तीमारदारों ने खुद ही अपने मरीज का दूसरे अस्पताल में रेफर करा लिया था। दरअसल, यहां पर वेंटिलेटर की सुविधा न होने से जान को खतरा था।

लेवल-2 कोविड अस्पताल बनाया गया कोरोना की दूसरी लहर में गाजियाबाद जिला प्रशासन ने 19 अप्रैल को ईएसआइसी अस्पताल को 76 बेड का लेवल-2 कोविड अस्पताल बनाया था। यहां 42 आक्सीजन बेड और 34 बिना आक्सीजन के बेड हैं। प्रशासन ने 10 आक्सीजन कंसंट्रेटर भी दिए थे।

----- 200 बेड की व्यवस्था होनी थी करीब 56 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2017 में साहिबाबाद के राजेंद्र नगर सेक्टर - दो में ईएसआइसी अस्पताल बनाया गया। ईएसआइसी की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक यहां 200 बेड की व्यवस्था होनी थी लेकिन अभी तक अस्पताल में 100 बेड ही हैं। ----------- वेंटिलेटर नहीं है मरीज ले जाओ : दिल्ली के शाहदरा निवासी नमिता (54) कोरोना संक्रमित हो गई थीं।

29 अप्रैल को उन्हें राजेंद्र नगर ईएसआइसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी बेटी नव्या गुप्ता ने बताया कि वह और उनके पिता कृष्ण कुमार गुप्ता भी कोरोना संक्रमित थे। दोनों होम आइसोलेशन में थे। 30 अप्रैल की रात में ईएसआइसी अस्पताल से फोन आया कि हमारे यहां वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है। मरीज को ले जाओ, नहीं तो जान जा सकती है। संक्रमण से जूझ रहीं नव्या व उनके पिता परेशान हो गए। रिश्तेदारों की मदद से कई अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड की तलाश की, लेकिन निराशा हाथ लगी। दो मई को सुबह नव्या की आंख खुलने से पहले उनकी मां की मौत हो गई थी।

अस्पताल में वेंटिलेटर हैं। आइसीयू की सुविधा के लिए अलग से स्टाफ की जरूरत थी। इसलिए आइसीयू नहीं शुरू किया जा सका। जो वेंटिलेटर हैं, जरूरत पड़ने पर उपयोग में लिए गए। 19 अप्रैल से 28 मई तक 183 में से 110 मरीज ठीक होकर अस्पताल से निकले।

- डा. प्रदीप कुमार, चिकित्सा अधीक्षक, ईएसआइसी अस्पताल राजेंद्र नगर सेक्टर दो

 

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