विश्व पृथ्वी दिवस पर सत्येन्द्र सिंह (पर्यावरणविद् ) ने कहा है कि , एक राष्ट्र जो अपनी मिट्टी को नष्ट करता है, वह स्वयं नष्ट हो जाता है।

Apr 23, 2021
Source: UVIndia news

विश्व पृथ्वी दिवस पर सत्येन्द्र सिंह (पर्यावरणविद् ) ने कहा है कि , एक राष्ट्र जो अपनी मिट्टी को नष्ट करता है, वह स्वयं नष्ट हो जाता है। वन हमारी भूमि के फेफड़े हैं जो हवा को शुद्ध करते हैं और हमें नई ताकत देते हैं। जो हमें ऑक्सिजन देते हैं उनका भी महत्व हम आज तक नहीं समझ पाये हैं ।
अब तो जागो ; जब आज हम किसी अपने की जान बचाने को ऑक्सिजन सिलेंडर की भीख माँग रहे हैं , मनचाहे दाम देने को तैयार हैं । फिर भी लाचार हैं । - सत्येन्द्र सिंह ( पर्यावरणविद् )

एक बड़ा पेड़ औसतन प्रतिदिन 227 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जबकि एक आदमी को प्रतिदिन 550 लीटर ऑक्सीजन (19 क्यूबिक फीट) की जरूरत होती है। ग़ाज़ियाबाद जिले में रहने वाले 17 लाख, 66 हजार, 984 लोगों की बात करें तो हम सब प्रतिदिन उतनी ऑक्सीजन सांस से ले लेते हैं जितनी ऑक्सीजन 42 लाख, 25 हजार, 383 पेड़ एक दिन में बना पाते हैं। 

हमारे रसोई घर, फैक्ट्रियों, बिजली, खेती, वाहनों आदि में खपत होने वाली ऑक्सीजन की बात करेंगे तो यह गणना करना ही मुश्किल हो जाएगा कि हमें प्रतिदिन कितने पेड़ ऑक्सीजन बनाने के लिए चाहिए। इसलिए जब भी मौका मिले एक पेड़ अवश्य लगाएं। कुछ इसी तर्ज पर उत्थान समिति इस वर्ष भी एक पेड़ एक जिंदगी अभियान शुरू कर रही है, ताकि हम सांस ले सकें। इस अभियान की शुरुआत अगले हफ़्ते से की जाएगी। उत्थान समिति  के चेयरमैन सत्येन्द्र सिंह पर्यावरणविद्  ने बताया कि उन्होंने उत्थान समिति  के इस अभियान से जुड़ने की पूरी तैयारी कर ली है इसके लिये हमने स्कूलों के बच्चों एवं शिक्षकों से मदद माँगी है और सभी बच्चे और शिक्षक तथा वे स्वयं एक-एक पेड़ जरूर लगाएंगे। इसके बाद यह अभियान लगातार 30 अगस्त तक शहर के विभिन्न हिस्सों में चलेगा। इसलिए जब भी हो सके अपनी सुविधा अनुसार एक पेड़ जरूर लगाएं, अपने या अपने परिवार के सदस्य के जन्मदिवस पर , अपनी सालगिरह पर , शादी के मौक़े पर , ऐसा करके आप समाज को बहुत बड़ा योगदान देंगे । आज जब की हर इंसान ऑक्सिजन के लिए भाग रहा है तब हमें इसके प्राकृतिक कारख़ाने को ज़रूर लगाना चाहिये । यह समाज के लिए आपकी व्यक्तिगत भागीदारी होगी ।
वन क्षेत्र लगातार घटते जा रहे हैं । जबकि प्रत्येक वर्ष काग़ज़ों में ही सही, लेकिन करोड़ों पौधे लगाये जाते हैं । गिनीज़ बुक में नाम दर्ज करवाया जाता है । फिर वन क्षेत्र क्यों घट रहे हैं यह सोचनीय विषय है ?
सत्येन्द्र सिंह - पर्यावरणविद् ने बताया कि हम प्रति मिनट सांस के द्वारा औसतन आठ लीटर हवा ग्रहण करते हैं जिसमें 20 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। जब हम सांस छोड़ते हैं तो उसमें 15 प्रतिशत ऑक्सीजन वापस निकल जाती है। इस प्रकार हम प्रति मिनट 400 मिलीलीटर ऑक्सीजन सांस के माध्यम से ग्रहण करते हैं जो 24 घंटे में 576 लीटर बनती है। हालांकि औसतन 550 लीटर ऑक्सीजन प्रति व्यक्ति माना जाता है। वहीं एक पेड़ एक साल में 260 पाउंड यानिकि 117.93 किलोग्राम ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है। 22.5 लीटर ऑक्सीजन का वजन 32 ग्राम होता है। यानिकि एक पेड़ एक साल में 82 हजार, 922 लीटर ऑक्सीजन बनता है जिसको एक व्यक्ति 150 दिन में ग्रहण कर जाता है। यानिकि एक व्यक्ति को सिर्फ सांस लेने के लिए दो पेड़ से भी ज्यादा की जरूरत है। इसलिए जब भी हो सके अपनी सुविधा अनुसार एक पेड़ जरूर लगाएं, यह समाज के लिए आपकी व्यक्तिगत भागीदारी होगी।

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