Explainer: पीएम मोदी की जगह रूसी दौरे पर पहुंचे जयशंकर, G-20 शिखर सम्मेलन में पुतिन भी नहीं आए भारत... क्या है इसके मायने?

Dec 26, 2023

India-Russia Relation: भारत और रूस के बीच संबंध में दो स्तरों पर गड़बड़ कर रहा है, पहला तो भारत और रूस के बीच संबंध सरकार के स्तर पर ज्यादा है. लेकिन अब दोनों देशों को निजी क्षेत्र में संबंध व्यापकर करना होगा.

India-Russia Relation: रूस में आयोजित सालाना शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह एस जयशंकर पांच के दौर पर रूस पहुंचे हैं. यह दौरा इसलिए भी काफी चर्चाओं में बना हुआ क्योंकि एक साल में भारत की ओर से पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयंकर रूस जा रहे हैं. वार्षिक सम्मेलन भारत-रूस के बीच हर साल होता है इस दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा होती है. एक साल रूसी राष्ट्रपति भारत आते हैं और एक बार भारत के प्रधानमंत्री रूस पहुंचते हैं. अभी तक दोनों देशों के बीच 21 बार सालाना सम्मेलन हो चुके हैं. 

दो-तीन साल से एक-दूसरे देश नहीं पहुंचे शीर्ष नेता 

आखिरी सम्मेलन दोनों देशों के बीच साल 2021 में हुआ था जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत आए थे, लेकिन साल 2022 में कोविड महामारी के कारण यह शिख सम्मेलन नहीं हो पाया था. वहीं, पिछले वर्ष रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पीएम मोदी रूस नहीं जा पाए थे. वहींस इसी साल जी-20 शिखर सम्मेलन में पुतिन भारत नहीं आ पाए थे. इस साल पीएम मोदी का रूस जाना था लेकिन वह लगातार दूसरी बार इस सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं. लेकिन अभी तक पीएम मोदी ने का यह दौरा क्यों टला इस बात का आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है. वहीं, दूसरी ओर अंग्रेजी समाचार पत्र की मानें तो तारीख पक्की करना एक बड़ी चुनौती बन गई है. 

क्या भारत अमेरिका को खुश करने में लगा? 

रूस अपने अपने डिप्लोमैटिक करियर की शुरुआत करने वाले एस जयशंकर पांच दिनों के दौरे पर रूस पहुंचे हैं, मास्को में रूसी नेताओं से मुलाकात करेंगे. एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कहा गया है कि पीएम मोदी की जगह जयशंकर दौरे पर पहुंचे हैं. क्योंकि पश्चिम और अमेरिका के प्रतिबंधों को झेल रहे रूस की यात्रा न करके पीएम मोदी इस बात का संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह पश्चिम का साथ नहीं छोड़ेंगे और रूस इसलिए विदेश मंत्री को भेजा है. क्योंकि भारत यह भी संदेश देना चाहते हैं कि वह कभी भी अपने पुराने साथियों को नहीं छोड़ता है. पिछले साल जब प्रधानंत्री रूसी दौरे पर नहीं पहुंचे थे तो लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया था कि रूस के द्वारा यूक्रेन को परमाणु धमकी के बीच पीएम ने यह दौरा कैंसिल कर दिया है. 

जी20 में पुतिन का न आना पीएम मोदी को लगा नागवार 

रॉयटर्स के अनुसार पीएम मोदी का रूसी दौरा का टलना परमाणु हमले की धमकी देना नहीं था बल्कि इसकी तारीख पहले से ही तय था. वहीं, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जी-20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे पर नहीं आने पीएम मोदी ने नाखुशी जाहिर की थी. जी-20 शिखर सम्मेलन खत्म होने के बाद व्हाइट हाउस ने बयान जारी किया कर कहा था कि भारत करीबी लोगों का न आना काफी निराश करने वाली बात है. लेकिन हम यहां पर आए यह हमारे लिए काफी खुशी की बात है. बता दें कि यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन भारत नहीं आए लेकिन उन्होंने चीन, सऊदी अरब और यूएई का दौरा किया. इस दौरान उन पर कई सवाल खड़े कर दिए थे. 

रूस भारत के अलावा चीन का भी रणनीतिक साझेदार 

वहीं, दिमित्री त्रेनिन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि रूस का चीन की ओर आकर्षित होना भारत के लिए काफी नुकसान होने जैसा है. लेकिन यह भी सच है कि रूस, भारत के अलावा चीन का भी एक बड़ा रणनीतिक साझेदार देश है. लेकिन रूस और भारत का ट्रेड, चीन और रूस के ट्रेड का 10वां हिस्सा है. भारत अब अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका के काफी करीब होता जा रहा है, जिससे रूस कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए. अब भारत अपने रिश्ते केंद्रीत नहीं करना चाहता बल्कि विकेंद्रीत करना चाहता है. दूसरी तरफ रूस से भारत में हथियारों की सप्लाई में अमेरिका का दखल साफ दिख रहा है. 

निजी क्षेत्रों में रिश्तों को व्यापक करना होगा 

भारत और रूस के बीच संबंध में दो स्तरों पर गड़बड़ कर रहा है, पहला तो भारत और रूस के बीच संबंध सरकार के स्तर पर ज्यादा है. लेकिन अब दोनों देशों को निजी क्षेत्र में संबंध व्यापकर करना होगा. भारत की अर्थव्यवस्था सरकार के हाथों से निकलकर प्राइवेट सेक्टर में चला गया है. इसलिए अब दोनों देशों को सरकार के स्तर से हटाकर अब प्राइवेट सेक्टर में भी भरोसा करना होगा. दूसरी दिक्कत भारत और चीन के बीच प्रतियोगिता बढ़ती जारी है. लेकिन रूस दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार होता नहीं दिख रहा है. दोनों देशों के बीच के टकराव में रूस बचता हुआ साफ दिखता है.