Explainer: क्या चौथी बार संसदीय चुनाव जीतेंगी शेख हसीना? इस कारण मानी जा रही है प्रधानमंत्री की एकतरफा जीत
Bangladesh Parliamentary Election: बांग्लादेश में विपक्षी पार्टियों की मांग है कि शेख हसीना अपने पद से त्यागपत्र दे दें और अंतरिम सरकार के रखरखाव में संसदीय चुनाव करवाएं. लेकिन वर्तमान प्रधानंमत्री इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है.
Bangladesh Parliamentary Election 2024: बांग्लादेश में आगामी सात जनवरी को संसदीय चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में देश की सभी विपक्षी पार्टियां लगातार चुनाव की बहिष्कार करती हुईं दिखाई दे रही हैं और उनकी कई वरिष्ठ नेता जेल में बंद हैं. इसलिए अब मीडिया में इस बात को कहा जा रहा है कि शेख हसीना चौथी बार प्रधानमंत्री का चुनाव जीतने में सफल हो सकती है. बांग्लादेश में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और उसके सहयोगी दलों ने शेख हसीना पर आरोप लगाया है कि उन पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वह देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव करवा सकती हैं.
बीएनपी बोली- शेख हसीना दें त्यागपत्र
बांग्लादेश में विपक्षी पार्टियों की मांग है कि शेख हसीना अपने पद से त्यागपत्र दे दें और अंतरिम सरकार के रखरखाव में संसदीय चुनाव करवाएं. लेकिन वर्तमान प्रधानंमत्री इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. वहीं, बीएनपी नेता अब्दुल मोईन खान ने कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो चुका है, आगामी चुनाव फर्जी है. उन्होंने आगे कहा कि बीते कुछ समय से शेख हसीना ने अपने आप को तानाशाह की तरह पेश किया है, जो भी उनसे सवाल करता है वह उन्हें जेल में डलवा देती हैं.
हसीना बांग्लादेश को प्रगति के रास्ते पर पहुंचाया
प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश दुनिया में अपनी एक छवि बनाता जा रहा है, जो कभी देश गरीब देशों में गिनती होती है. आज बांग्लादेश हर सेक्टर में ऐतिहासिक प्रगति कर रहा है. कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां बांग्लादेश भारत से आगे निकलने की लगातार कोशिश कर रहा है. बीते 1.5 दशक में प्रति व्यक्ति में तीगुना इजाफा हुआ है. बीते बीस सालों में करीब 2 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं. देश में हसीना सरकार ने लोन्स और फंड्स की मदद से बुनियादा ढांचे को मजबूत करने के लिए फ़्लैगशिप योजना शुरू की है. इससे बांग्लादेश की जीडीपी में 1.23 की प्रगति आ सकती है. यह योजना गंगा किनारे शुरू की गई है. हालांकि बांग्लादेश को महामारी में काफी संघर्ष करना पड़ा था.
लॉक डाउन में बांग्लादेश की अर्थव्यस्था को लगा था झटका
लॉक डाउन के दौरान बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई थी, जहां उसका भंडारन 48 अरब डॉलर से घटकर 20 डॉलर पर पहुंच गया. बताया जा रहा है कि यह उस वक्त तीन महीने के आयात भी नहीं बचा था. लेकिन दूसरी ओर उनको आलोचकों ने कहा कि साल 2016 में विदेशी कर्ज दोगुना हो गया था. साथ उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति लोकतंत्र और मानवाधिकार के मूल्यों पर खड़ा होकर पूरी होती है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शेख हसीना बांग्लादेश में विपक्ष, मीडिया और समीक्षकों का दमन किया जा रहा है.
विपक्षी नेताओं पर शेख चल रहा है चाबुक!
बताया जा रहा है कि जब भी बीएनपी का कोई नेता सड़क पर किसी नीति का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरते हैं तो उन्हें पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करवा लिया जाता है. विपक्ष का आरोप है कि विपक्षी पार्टियों के 20 हजार से ज्यादा नेता देश में फर्जी केसों में जेल में बंद पड़े हैं. वहीं, उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी कई केस दर्ज जेल में डाल दिया गया है. अब्दुल मोईन खान एकमात्र बीएनपी के नेता हैं जिनको हिरासत में नहीं लिया गया है. उन्होंने ही आरोप लगाया है कि सत्ताधारी पार्टी आज विपक्षी कार्यकर्तां को मनगढ़ंत केस में जेल में डलवा रही है.