UK Election: लेबर पार्टी 400 पार, इन 5 कारणों से गई ऋषि सुनक की सरकार

Jul 05, 2024

UK Election: ब्रिटेन में आम चुनाव के लिए मतदान बृहस्पतिवार को हुआ. जिसमें बीबीसी- इप्सॉस एग्जिट पोल के अनुसार कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी 410 सीटें जीत सकती है. वहीं ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को महज 131 सीटें मिलने का अनुमान है. लेकिन अब ये जानते हैं कि आखिर वो इस चुनाव में किन कारणों की वजह से हारे हैं.

UK Election: ब्रिटेन का चुनाव का परिणाम गुरुवार को आया जिसमें आम चुनाव में ऋषि सुनक की पार्टी हार गई है. लेकिन इतिहास में ऋषि सुनक ने पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के रूप में अपना नाम हासिल कर लिया है. इस बार के चुनाव में 44 साल के ऋषि सुनक की जगह लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर नए पीएम बन सकते हैं. उनकी पार्टी 400 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है. ऋषि सुनक ने हार मान कर लेबर पार्टी को जीत की बधाई दी है.

ऋषि सुनक 14 साल के कंजर्वेटिव पार्टी के कार्यकाल में वह अंतिम प्रधानमंत्री थे. इस बार के चुनाव में लेकिन ऐसे क्या-क्या कारण रहे हैं जिससे ऋषि सुनक को हार का सामना करना पड़ा है.

ब्रेक्जिट ने हालात  खराब

ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के बाद से ब्रिटेन को साल 2016 में गिरते जीवन स्तर की चुनौतियों से जुड़ी चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है. वहां पर लोगों को टैक्स काफी ज्यादा देना पड़ रहा है. इस अलावा खाद्य कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे जनता नाखुश थी. इंडियन एक्सप्रेस की दी गई  रिपोर्ट के मुताबिक इससे कंजर्वेटिव सरकार आधुनिक ब्रिटिश इतिहास में पहली सरकार बन गई है जिसने लोगों को पहले से भी बुरी स्थिति में पहुंचा दिया. 

खराब अर्थव्यवस्था

70 साल के इतिहास में ब्रिटेन में टैक्स काफी ज्यादा बढ़ गया है. सरकार के पास लोगों पर खर्च करने के लिए पैसे ही नहीं है. आपको बता दें, साल 2020 में  जब दुनिया कोरोना से परेशान थी. तब ब्रिटेन की सरकार इससे बच निकलने के लिए योजना बनाती है. इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए 280 बिलियन पाउंड यानी 29 लाख करोड़ रुपए खर्च किया.उस वक्त सुनक वित्त मंत्री थे. हालांकि, सरकार ने ये पैसे अपनी जेब से नहीं दिए थे. लेकिन फिर भी वहां की अर्थव्यवस्था होती चली गई. 

5 साल में 4 प्रधानमंत्री बने

साल 2016 मे 23 जून को  ब्रिटेन में एक जनमत संग्रह हुआ. जिसमें 52% लोगों ने ब्रेग्जिट का समर्थन और 48% ने विरोध किया था. समर्थन करने वालों का मानना था कि ब्रिटेन के EU का मेंबर होने की वजह से उनके देश में बाहरी लोगों की तादाद बढ़ रही है. बाहरी लोग उनकी नौकरियां खा रहे हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था. ब्रेग्जिट को लेकर उनकी सोच पार्टी लाइन से अलग थी. कंजर्वेटिव पार्टी में ज्यादातर नेता ब्रेग्जिट चाहते थे.

अप्रवासियों को रवांडा भेजना

पीएम ऋषि सुनक की कई नीतियों को लेकर लोग काफी नाराज थे. लोगों का मानना था कि ये उनकी पार्टी के भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन जैसे मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं. इसके साथ ही बिना दस्तावेज वाले आप्रवासियों को रवांडा भेजने की उनकी नीति को कई ब्रिटिश नागरिकों ने अमानवीय माना है. इस कारण विपक्षी लेबर पार्टी को भी उनके ऊपर हमला करने का मौका मिल गया था.

लेबर पार्टी ने किए वादे

कोरोना के बाद से ब्रिटेन में आर्थिक संकट और महंगाई दर काफी ज्यादा बढ़ गया है. जिसको लेकर विपक्षी लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर ने आर्थिक विकास का वादा लोगों से किया. जनता से किए स्टार्मर के कई वादे भी ऋषि सुनक की हार का कारण बन गए. उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में बदलाव, साफ ऊर्जा का वादा जनता से किया है. लेबर ने कामकाजी लोगों के लिए टैक्स न बढ़ाने का वादा किया है. स्टार्मर ने आयकर, राष्ट्रीय बीमा या वैट में भी बढ़ोतरी न करने को भा कहा है.