ईपीएफ से मिलने वाला आपका पेंशन कैसे बढ़ सकता है?

Feb 25, 2021
Source: economictimes.indiatimes.com

हरियाणा टूरिज्म कॉर्पोरेशन के रिटायर्ड जनरल मैनेजर का पेंशन 1200 फीसदी बढ़कर 30,592 रुपये पर पहुंच गया. पहले उन्हें 2,372 रुपये का पेंशन मिलता था. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की मदद से उन्होंने EPFO में EPS के तहत अपनी पेंशन ठीक करने का आवेदन दिया.

किसी एम्प्लॉयी के वेतन का बहुत छोटा सा हिस्सा ही EPS में जाता है. याचिकाकर्ता ने ईपीएस एक्ट में 1996 में हुए संशोधन का हवाला दिया. इसके तहत सदस्य अपने योगदान को बढ़ाकर कुल वेतन (बेसिक सैलरी+DA) का8.33 फीसदी तक कर सकता है. इसके लिए वेतन की कोई उपरी सीमा नहीं है.

इस वजह से पेंशन की रकम काफी बढ़ जाती है. एक लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद याचिकाकर्ता की आखिरकार अक्टूबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट में जीत हुई.

क्या है ईपीएस और आप इसमें योगदान कैसे बढ़ा सकते हैं

  1. ईपीएफ नियमों के तहत नियोक्ता को कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी ईपीएफ में रखना पड़ता है.
  2. इस रकम का 8.33 फीसदी ईपीएस में चला जाता है
  3. ईपीएफ के लिए सैलरी की अधिकतम सीमा अभी 15,000 रुपये प्रति माह है. इसलिए ईपीएस में अधिकतम योगदान 1250 रुपये प्रतिमाह है.
  4. ईपीएस एक्ट में 1996 में हुए एक संशोधन के बाद कर्मचारी को पेंशन में योगदान बढ़ाकर सैलरी (बेसिक और डीए) का 8.33 फीसदी करने का विकल्प मिल गया.
  5. ईपीएस में योगदान बढ़ाने के लिए नियोक्ता के सहमति पत्र के साथ कर्मचारी को ईपीएफओ के पास आवेदन करना पड़ता है.
  6. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ईपीएफओ के लिए ईपीएस में ज्यादा योगदान के लिए इजाजत देना जरूरी हो गया है.

    इस हिसाब से उसका मासिक पेंशन सिर्फ 5,182 रुपये होगा. अगर वह सेवा में 25 साल रहा है तो EPS से उसका प्रभावी रिटर्न सालाना 1.52 फीसदी सालाना होगा.

    दूसरी तरफ अगर एम्प्लॉयी अपने वेतन का 8.33 फीसदी इसमें योगदान करता है और उस हिसाब से उसे पेंशन मिलता है तो उसका रिटर्न 11-12 फीसदी के करीब होगा.
     

     

कुछ हफ्ते पहले तक EPF में शामिल अधिकतर एम्प्लॉयी को यह पता भी नहीं था कि वे रिटायर होने के बाद पेंशन के लिए भी एनटाइटल्ड हैं. जिन लोगों को इस बारे में कुछ पता भी था उन्हें भी लगता था कि इससे ज्यादा से ज्यादा2,000-3,000 रुपये का मासिक पेंशन मिल सकता है.

इस मामले के जानकारों को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लागू होने के बाद वैसे लोगों की बाढ़ आ सकती है जो EPS में योगदान बढ़ाकर ज्यादा पेंशन लेना चाहते हैं.
छूट वाले संस्थान बाहर रहे
एग्जेंप्टेड कैटेगरी वाले संस्थान के कर्मियों को EPFO ने पहले ही पेंशन देने से इंकार कर दिया है. इसमें वैसी कंपनियां हैं जो अपने PF एकाउंट का प्रबंधन खुद करती हैं. EPS के दायरे में आने वाले 5 करोड़ एम्प्लॉयी में से करीब80 लाख इसी तरह के संस्थान में काम करते हैं.

दिलचस्प तथ्य यह है कि सुप्रीम कोर्ट में केस जीतने वाले 12 लोगों में से दो छूट वाली कंपनियों से ही आते हैं. इन सदस्यों को अधिक पेंशन देने की बात EPFO ने स्वीकार कर ली है, उम्मीद है कि प्राइवेट ट्रस्ट या PF का खुद प्रबंधन कर रहे ट्रस्ट भी अब कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

EPFO के अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के इस आदेश को लागू करने में व्यावहारिक कठिनाइयां हैं. खास तौर पर छूट वाली कंपनियों के एम्प्लॉयी को पेंशन देने के मामले में.

अगर EPS में योगदान बढ़ा दिया जाता है और उसके हिसाब से पूरे वेतन के अनुपात में पेंशन की रकम दी जाती है तो उस व्यक्ति के PF एकाउंट से बड़ी रकम EPS एकाउंट में ट्रांसफर करने की जरूरत होगी.

सिर्फ यही नहीं, इस पैसे पर कमाए गए ब्याज को भी EPS एकाउंट में ट्रांसफर करना होगा.

EPFO का हालांकि कहना है कि यह एडजस्टमेंट तभी संभव है जब EPF और EPS फंड का प्रबंधन EPFO ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा हो. EPS कलेक्शन का प्रबंधन EPFO ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जबकि छूट वाली कंपनियां इसका प्रबंधन खुद करती हैं.

सेन्ट्रल PF कमिश्नर वी पी जॉय ने कहा, 'अगर किसी संस्थान का PF फंड EPFO ट्रस्ट के पास नहीं है तो उसके एम्प्लॉयी के EPF एकाउंट से EPS एकाउंट में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है.'

सुविधा उपलब्ध नहीं

हर व्यक्ति EPS में अधिक योगदान नहीं कर सकता. अगस्त 2014 में सरकार ने 1995 के EPS कानून में सुधार किया और इस प्रावधान को ही समाप्त कर दिया. इस बदलाव में वेतन की सीमा को 6500 रुपये से बढ़ाकर15,000 रुपये कर दिया गया.

1 सितंबर 2014 के बाद EPS ज्वाइन करने वाले एम्प्लॉयी को EPS से बाहर कर दिया गया अगर उनका वेतन 15,000 रुपये से अधिक है.
 

 

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