पीएफ भुगतान अटकने पर ऋण देगी सरकार

Nov 25, 2019

पीएफ भुगतान अटकने पर ऋण देगी सरकार

लखनऊ : दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड कंपनी (डीएचएफएल) में भविष्य निधि का पैसा फंसने के बाद से परेशान बिजलीकर्मियों के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है। सरकार ने पीएफ भुगतान की गारंटी ले ली है। शनिवार देर रात संबंधित आदेश जारी कर दिया गया। अब डीएचएफएल में अटका पीएफ का पैसा अगर न आ पाया और पावर कॉरपोरेशन भी भुगतान करने में सक्षम न रहा तो सरकार उसे ब्याज रहित ऋण देकर बिजलीकर्मियों का भुगतान सुनिश्चित करेगी।

डीएचएफएल में भविष्य निधि का 2268 करोड़ रुपया फंसने के बाद से बिजलीकर्मी आंदोलित थे। वह आशंकित थे कि यदि कंपनी से पैसे की वापसी न हो सकी तो हजारों करोड़ रुपये का घाटा ङोल रहा पावर कॉरपोरेशन कैसे भुगतान करेगा? कर्मचारियों की मांग थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें और सरकार भुगतान की गारंटी ले। पिछले दिनों योगी ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और सक्षम अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी विकल्पों पर विचार-विमर्श किया। शनिवार को दिन में ऊर्जा मंत्री ने संबंधित बिजली कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता की। वार्ता में बनी सहमति के बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा अर¨वद कुमार की ओर से देर रात गारंटी संबंधी शासनादेश भी जारी कर दिया गया। शासनादेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा डीएचएफएल से रकम वापसी के लिए सभी विधिक कदम उठाए जाएंगे और धनराशि वापस प्राप्त होने पर उसका नियमानुसार निवेश सुनिश्चित किया जाएगा।

साथ ही कहा है कि डीएचएफएल में निवेशित धनराशि की वापसी में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, जिसके कारण कार्मिकों के पीएफ भुगतान में ट्रस्ट अपने आप को अक्षम पाता है तो पावर कॉरपोरेशन द्वारा अपने स्नोतों से पैसा दिया जाएगा। यदि किन्हीं परिस्थितियों में कॉरपोरेशन भी वांछित धनराशि ट्रस्ट को उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हो पाता तो राज्य सरकार द्वारा आवश्यकतानुसार धनराशि पावर कॉरपोरेशन को ब्याज रहित ऋण के रूप में प्रदान की जाएगी, ताकि भुगतान में कोई दिक्कत न आने पाए।

दोषियों के खिलाफ हो रही विधिक कार्रवाई : शासनादेश में स्पष्ट किया है कि उप्र पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट और उप्र पावर कॉरपोरेशन लि. सीपीएफ ट्रस्ट द्वारा भारत सरकार के निर्देशों के विपरीत ट्रस्ट की धनराशि का अनियमित निवेश किया गया है। ऐसे में एफआइआर दर्ज कराकर दोषियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पूरे मामले की जहां आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच की जा रही है, वहीं सरकार ने सीबीआइ जांच की भी सिफारिश केंद्र सरकार से कर रखी है।

लखनऊ : बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के मामले में सरकार ने पूरे धैर्य के साथ कदम बढ़ाए। मुख्यमंत्री के स्तर पर बैठकों में पैसा वापसी के विकल्प तलाशने के साथ ही कर्मचारियों के साथ बेहतर तालमेल का भी संदेश दिया गया। उच्च स्तर से लिए जा चुके निर्णय पर ऊर्जा मंत्री ने पहले आंदोलित कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर मन टटोला, फिर सहमति बनने पर अवकाश के दिन भी सचिवालय खुलवाकर गारंटी का शासनादेश जारी कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का 19 दिनों से आंदोलन चल रहा था। संघर्ष समिति ने 28 नवंबर से बेमियादी कार्य बहिष्कार का एलान कर रखा था, जबकि एसोसिएशन ने दो घंटे अतिरिक्त कार्य शुरू कर दिया था। इनकी मांग थी कि सरकार पीएफ वापसी के लिए गारंटी दे। इस पर शनिवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और प्रमुख सचिव ऊर्जा अर¨वद कुमार ने दोनों संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ अलग-अलग बैठक की। इसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई। इसके बाद संघर्ष समिति ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी। वहीं, ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी लिखित आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा आदेश जारी करते ही आंदोलन वापस ले लिया जाएगा। चूंकि देर रात शासनादेश जारी कर दिया गया। इसलिए एसोसिएशन का आंदोलन भी वापस हो गया है।

बैठकों में इन ¨बदुओं पर भी सहमति : पीएनबीएचएफएल और एलआइसीएचएफएल में जमा धनराशि की वापसी की कार्यवाही की गई है। यह पैसा ट्रस्ट के खाते में अगले दो-तीन दिन में वापस आ जाएगा, जिसका नियमानुसार निवेश किया जाएगा। जब तक ठेकेदारों द्वारा संविदा कर्मियों के ईपीएफ का पैसा जमा नहीं किया जाता, तब तक उनके अगले बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। पीएफ घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी स्तर के हों। आंदोलन में शामिल रहे किसी भी कार्मिक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

संगठनों से मांगा यह सहयोग : सभी विद्युतकर्मी पूरी ताकत से विद्युत उद्योग की बेहतरी के लिए जुट जाएं। 31 दिसंबर, 2020 तक पूरे प्रदेश में राजस्व वसूली, बेहतर उपभोक्ता सेवा और विद्युत चोरी पर पूर्ण अंकुश लगाने का प्रयास करें। 31 दिसंबर, 2020 तक प्रदेश भर में विद्युत हानियों को घटाकर 15 फीसद से नीचे लाने का प्रयास करें।

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