महाशिवरात्रि 2023 : भोलेनाथ को क्यों पसंद हैं बेलपत्र, जानिए इसके पीछे की रोचक कथा

Feb 08, 2023
  • महाशिवरात्रि का त्योहार इस बार 18 फरवरी शनिवार के दिन देश भर में पूरी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। जगह जगह मंदिरों में इसकी तैयारी हो रही हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव पार्वती का विवाह हुआ था। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक से समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए इस दिन भोलेबाबा के भक्त पूरी श्रद्धा और विधिवत तरीके से शिवलिंग पर जलाभिषेक करके भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। शिवलिंग पर इस दिन धतूरा और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। बेलपत्र शिवजी को बहुत ही प्रिय हैं, इनको अर्पित करने पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन शिव भगवान को बेलपत्र क्यों पसंद हैं, इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। 

     

    चलिए जानते हैं कि शिव भगवान को बेलपत्र क्यों पसंद है। 

     

    दरअसल बेलपत्र को बिल्वपत्र भी कहा जाता है। बेलपत्र बहुत ही शक्तिशाली है और ये विष के प्रभाव को भी कम कर देता है। इस बेलपत्र के बिना शिव भगवान की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। अगर भोलनाथ को प्रसन्न करना है तो उनकी पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए। 

     

    कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से विष निकला तो जगत को बचाने के लिए खुद भगवान शिव ने इस हलाहल का सेवन किया। ये विष शिव के कंठ में जाकर रुक गया। तब इस विष की ज्वाला से भगवान शिव का गला जलने लगा तो पार्वती जी ने बेलपत्र खिलाकर शिव के कंठ में विष की गर्मी और ज्वाला को शांत किया।  इन्हीं बेलपत्रों की मदद से शिव भगवान के गले में विष का असर नहीं हो पाया और बेलपत्र भोलेनाथ का प्रिय बन गया। 

     

    दूसरी एक कथा का जिक्र स्कंदपुराण में कहा गया है। इसके अनुसार हिमालय पर्वत पर वास करते हुए माता पार्वती ने एक बार अपने माथे से पसीना पोंछकर दूर फेंक दिया। इसी पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत के शिखर पर जाकर गिरी। जहां ये बूंदें गिरी वहां बेल वृक्ष उग गया और उस पर बेलपत्र लगने लगे। ये भी कहा जाता है कि बेल का पेड़ खुद मां पार्वती का ही रूप है। इसकी जड़ों मे गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयानी, पत्तों में मां पार्वती और पुष्पो में मां गौरी का साक्षात वास माना गया है। मां पार्वती के रूप से बना ये पेड़ इसलिए भी भगवान शिव को काफी प्रिय है।

     

    पूजा में कैसे करें उपयोग

    शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि इनकी संख्या तीन से 11 तक होनी चाहिए। बेलपत्र शुद्ध होने चाहिए और कहीं से भी कटे फटे या खंडित नहीं होने चाहिए। तीन या पांच पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाना मंगलकारी और शुभ माना जाता है। बेलपत्र अर्पित करते समय शिवलिंग पर जल की धार जरूर चढ़ानी चाहिए। 

     

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