लॉकडाउन के बाद की स्थिति के लिए कमर कस रही मोदी सरकार

Apr 23, 2020

लॉकडाउन के बाद की स्थिति के लिए कमर कस रही मोदी सरकार

औद्योगिक चक्के को चालू करने के लिए बड़े स्तर पर सामंजस्य की जरूरत शर्तो के साथ राहत मिलने के बावजूद बड़े तो दूर, छोटे उद्योग भी कई कारणों से उत्पादन को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। इंतजार है लाकडाउन के बाद की स्थिति का जब सामान्य गति से सबकुछ चलाने की इजाजत मिल जाएगी। जाहिर है कि यह आसान नहीं होगा। यही वजह है कि अभी से विभिन्न मंत्रलयों के अलावा राज्यों के साथ भी बेहतर तालमेल की कवायद शुरू कर दी गई है। आरबीआइ, सेबी, वित्त मंत्रलय, सड़क व राजमार्ग मंत्रलय, पेट्रोलियम मंत्रलय और अन्य मंत्रलयों-एजेंसियों ने भावी हालात के लिए रोडमैप बनाना शुरू कर दिया है ताकि अचानक मांग में भारी बढ़ोतरी की स्थिति से निपटा जा सके। केंद्र ने राज्यों के साथ संपर्क साधा है ताकि इकोनोमी के लिए अहम समङो जाने वाले महत्वपूर्ण उद्योगों का कामकाज तेजी से सामान्य हो सके और तैयार माल को बाजार तक पहुंचाने में कोई परेशानी न हो।

फिक्की, सीआइआइ, ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम जैसे संगठनों ने अपने सदस्यों की जरूरतों और केंद्र व स्थानीय सरकारों के बीच तालमेल बिठाना शुरू कर दिया है। उद्योग चैंबर सीआइआइ ने गृह मंत्रलय को उन मांगों की फेहरिस्त सौंपी है जो फिलहाल औद्योगिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए जरूरी है। चैंबर का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भी अगर देश में कुछ कोविड-19 रेड जोन होते हैं तो मैन्यूफैरिंग गतिविधियों को सामान्य करना आसान नहीं होगा। साथ ही एक बार कल-कारखानों को चालू करने के बाद अगर फिर से आस पास के इलाकों में कोविड-19 का प्रसार होता है तो उस स्थिति में काम काज बंद करने को लेकर क्या नियम होंगे, इसे अभी से स्पष्ट करना होगा। उद्योग जगत का कहना है कि देश के तमाम बंदरगाहों पर फंसे कच्चे माल को निर्माण स्थल तक पहुंचाने व तैयार माल को बाजारों में पहुंचाने के लिए निर्बाध रेल व सड़क यातायात की जरूरत होगी। यह काम राज्यों के बीच बेहतर सामंजस्य होने पर होगा।

वित्त मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन समाप्ति के बाद सभी सेक्टरों की तरफ से बड़े पैमाने पर वित्त की मांग आने की संभावना है जिसे पूरा करने के लिए सरकारी व निजी वित्तीय संस्थानों पर दबाव बढ़ेगा। इस हालात से निबटने के लिए आरबीआइ, नाबार्ड, सिडबी, नेशलन हाउसिंग बैंक, भारतीय बैंक संघ (वाणिज्यिक बैंकों का संगठन) के बीच लगातार संपर्क बनाए रखने की व्यवस्था की गई है। आरबीआइ लगातार हर राज्य के लीड बैंक के साथ संपर्क में है ताकि हर स्तर पर फंड की जरूरत पूरी की जा सके। इस बात पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है कि निर्यातक समुदाय व छोटे व मझोले उद्योगों को बैंकों से बहुत ही आसानी से पर्याप्त कर्ज मिल सके। बैंकों को कहा गया है कि वे कर्ज के प्रस्तावों पर तेजी से फैसला करेंगे। सनद रहे कि छोटे व मझोले उद्योगों व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को वित्त सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हाल के दिनों में आरबीआइ की तरफ से कई कदमों का एलान किया गया है, लेकिन उसका फायदा लॉकडाउन की वजह से कोई नहीं उठा सका है।

उद्योग जगत लॉकडाउन खात्मे का बेसब्री से इंतजार तो कर रहा है, लेकिन वह श्रमिकों की उपलब्धता को लेकर चिंतित जरूर है। पिछले एक महीने में जिस तरह से काम ठप हुआ है उससे बड़े शहरों से काफी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं। इन मजदूरों को उनके कार्यस्थल पर पहुंचाने में राज्यों की मदद चाहिए। हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के साथ एक बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने इसे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के समक्ष एक बड़ी चुनौती के तौर पर पेश किया। नीति आयोग ने आश्वस्त किया है कि वह मैन्यूफैरिंग केंद्रित राज्यों व श्रम उपलब्ध कराने वाले राज्यों के बीच सामंजस्य के लिए काम करेगा। बैंकों ने की तेजी से कर्ज बांटने की तैयारी श्रमिकों की उपलब्धता को लेकर असमंजस |

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