दुकानों का पंजीकरण अब एक ही बार
दुकानों का पंजीकरण अब एक ही बार
लखनऊ
कारोबारियों को श्रम विभाग में अपनी दुकानों और वाणिज्यिक अधिष्ठानों के पंजीकरण का नवीनीकरण अब हर पांच साल में नहीं कराना होगा। प्रदेश में दुकानों और वाणिज्यिक अधिष्ठानों का पंजीकरण अब एक बार ही होगा। आजीवन पंजीकरण के लिए भी कारोबारी को वही फीस जमा करनी होगी जो अभी पांच साल के पंजीयन अवधि के लिए अदा करनी होती है। दुकानदारों और पेशेवरों की सहूलियत के लिए योगी सरकार यह फैसला करने जा रही है। श्रम विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
उप्र दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम, 1962 के तहत प्रदेश में संचालित सभी दुकानों और वाणिज्यिक अधिष्ठानों का श्रम विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। उन दुकानों और वाणिज्यिक अधिष्ठानों को छोड़कर जिनके संचालन का कांट्रैक्ट कम अवधि के लिए होता है, सामान्यत: यह पंजीयन पांच साल के लिए होता है। यह अवधि खत्म होने के बाद दुकानदार को पंजीकरण का नवीनीकरण कराना होता है। नवीनीकरण भी पांच साल के लिए होता है। पंजीकरण और उसके नवीनीकरण के लिए फीस भी अदा कर करनी पड़ती है। प्रदेश में अभी 6.34 लाख दुकानें और वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं। दुकानों के पंजीकरण/नवीनीकरण से सरकार को प्रतिवर्ष औसतन डेढ़ करोड़ रुपये राजस्व मिलता है।
बार-बार दुकान या वाणिज्यिक अधिष्ठान के पंजीयन का नवीनीकरण कराने पर व्यापारियों को असुविधा होती है। योगी सरकार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के तहत व्यापारियों को कारोबार करने में और ज्यादा सहूलियतें देना चाहती है। अब दुकान या वाणिज्यिक अधिष्ठान का एक बार ही पंजीकरण कराना होगा।
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