ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत ग्रामीण डाक सेवक 'कर्मचारी' नहीं हैं : सुप्रीम कोर्ट

Mar 22, 2019

ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत ग्रामीण डाक सेवक 'कर्मचारी' नहीं हैं : सुप्रीम कोर्ट

डाक और तार विभाग ग्रेच्यूटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत एक प्रतिष्ठान के तहत आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्रामीण डाक सेवक ग्रेच्यूटी भुगतान अधिनियम के तहत 'कर्मचारी' की श्रेणी में नहीं आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पीठ ने  Sr. Superintendent of Post Offices vs. Gursewak मामले में कहा कि ग्रामीण डाक सेवक ग़ैर-विभागीय एजेंट हैं जो कि 2011 नियम के तहत आते हैं औरइनको ग्रेच्यूटी भुगतान के प्रावधान अलग हैं। पीठ ने यह भी कहा कि ग्रेच्यूटी अधिनियम की धारा 2(E) में ऐसे लोग नहीं आते जो केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर हैं और वे ग्रेच्यूटी के भुगतान के लिए किसी अन्य अधिनियम या नियम के तहत प्रशासित होते हैं। हालाँकि, पीठ ने कहा कि डाक और तार विभाग ग्रेच्यूटी भुगतान अधिनियम के तहत एक प्रतिष्ठान है।

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कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोग जो ग्रामीण डाक सेवक के रूप में काम कर रहे हैं वे विभाग के नियमित कर्मचारी नहीं हैं बल्कि 'ग़ैर-विभागीय एजेंट' हैं जो कि पार्ट-टाइम आधार पर हर दिन कुछ नियत समय के लिए काम करते हैं; और इनकेपास आजीविका के अन्य स्वतंत्र साधन होते हैं। यह भी कहा गया कि इन लोगों को 65 वर्ष की उम्र तक काम करने। की इजाज़त है। इस मामले में एक और मुद्दा यह था कि नियम 2011 के तहत ग्रामीण डाक सेवक ग्रेच्यूटी के भुगतान के योग्य हैं कि नहीं। नियम 6(13) पर ग़ौर करते हुए कोर्ट ने इस पर भी फ़ैसला ना में दिया क्योंकि इसमें कहा गया है कि अगर ग़ैर-विभागीय एजेंट अपने मन से एजेन्सी से निकल जाते हैं तो उन्हें ग्रेच्यूटी का भुगतान नहीं किया जाएगा।

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