नियोक्ता की जिम्मेवारी है की वह जिस भी कर्मचारी का पीएफ जमाकर रहा है तो उस कर्मचारी की ‘केवाईसी’ अपडेट करवाये-एन.के.सिंह

Mar 04, 2019

नियोक्ता की जिम्मेवारी है की वह जिस भी कर्मचारी का पीएफ जमाकर रहा है तो उस कर्मचारी की ‘केवाईसी’ अपडेट करवाये।

एन.के.सिंह क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (प्रथम)

नोएडा के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (प्रथम) एन के सिंह बागपत के रहने वाले एक कुशल प्रशासनिक क्षमता वाले अधिकारी हैं। जिन्होंने दिल्ली से ही अपनी पढाई लिखाई पूरी की है। इनकी प्रथम नियुक्ति पी एफ विभाग में सहायक भविष्य निधि आयुक्त के रूप में बैंगलौर में हुई थी। इसके बाद इन्होने दिल्ली मुख्यालय, गुरुग्राम, द्वारका दिल्ली, के साथ साथ दिल्ली नार्थ जोन में विजिलेंस में भी कार्य किया है। जबसे इन्होने वर्ष 2017 में नोएडा का कार्यभार संभाला है तब से ही नोएडा ऑफिस की कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन किया है जिसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2017 में नोएडा ऑफिस को पूरे भारत वर्ष में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था तथा वर्ष 2018 में इन्होने इस स्थान से एक पायदान और ऊपर चढ़कर प्रथम स्थान दिलाया, इस वर्ष स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली में श्रम मंत्री संतोष गंगवार के हाथों इनको अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इससे ही इनकी प्रसाशनिक क्षमता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उनसे उद्योग विहार के मुख्य संपादक सत्येन्द्र सिंह की बातचीत के प्रमुख अंश आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं।

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पीएफ के विषय में आवश्यक जानकारी


पीएफ एक सोशल सिक्यूरिटी स्कीम है जिसके तहत कर्मचारियों को उनके भविष्य एवं उनके परिवार के प्रति सुरक्षा मुहैया करवाई जाती है। प्राइवेट सेक्टर और कंपनियों के कर्मचारियों के लिए ईपीएफ (ईपीएफ) सबसे प्रमुख रिटायरमेंट सेविंग स्कीम होती है। इस स्कीम में आप जितना जमा करते हैं आपकी कंपनी भी उतना ही जमा करती है। इसके अलावा अच्छी ब्याज दर, टैक्स छूट, आकस्मिक मदद जैसी तमाम खूबियां इसे खास बनाती हैं।

हर कर्मचारी के लिए अनिवार्य

ईपीएफ एक अनिवार्य बचत स्कीम है। आप इसे किसी भी तरीके से टाल नहीं सकते। गर्वमेन्ट ने इस संबंध में नियम भी बनाया है, ताकि हर प्राइवेट कंपनी या संस्थान के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से इस स्कीम का हिस्सा बनाया जा सके। हालांकि, अगर आप बेसिक सेलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर 15000 रुपए से ज्यादा सैलरी पाते हैं तो इससे बाहर रहने का विकल्प (ओपीटी आॅउट) अपना सकते हैं। लेकिन एक बार आप इस स्कीम से जुड़ जाते हैं तो आगे हमेशा इससे जुड़े रहना होगा।


नियोक्ता के लिए भी अनिवार्य

ईपीएफ एकाउंट में पैसा जमा करना सिर्फ आपके लिए ही अनिवार्य नहीं है। आपके नियोक्ता (एमप्लोयर) के लिए भी अनिवार्य है। नियमानुसार, कंपनी को भी आपकी ओर से जमा पैसे के बराबर, खुद भी पैसा मिलाकर जमा करना होता है। यही कारण है कि कंपनी आपकी सीटीसी सैलरी में अपने कांट्रिब्यूशन को भी दर्शाती है।

ईपीएफओ के पास निगरानी और प्रबंधन का जिम्मा

ईपीएफ के रूप में कर्मचारियों की इस बचत के मैनेजमेंट और देखभाल का जिम्मा भारत सरकार के संगठन ‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (The employee Provident Fund Organisation-EPFO) का है। देशभर में सभी क्षेत्रों में इसके आॅफिस हैं, जो अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली कंपनियों और संस्थानों के ईपीएफ की व्यवस्था देखते हैं। हालांकि, कर्मचारी को ईपीएफओ की इस स्कीम से जोड़ने का जिम्मा उसके एम्पलोयर या कंपनी का होता है।

पेंशन योजना भी साथ में जुड़ी

ईपीएफ स्कीम के साथ आपकी पेंशन स्कीम भी जुड़ी होती है। जो पैसा आपका ईपीएफ स्कीम में कटता है, उससे कुछ पैसा कटकर आपके पेंशन अकाउंट में जमा होता जाता है। इसी से आपको रिटायरमेन्ट के बाद पेंशन मिलती है। अगर सर्विस के दौरान किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार वालों को यह पेंशन मिलती है। सरकार ने 10 साल तक सर्विस के बाद कम से कम 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन तय कर रखी है।

आपको देश में प्रथम स्थान मिला है। आप इस वक्त कैसा महसूस कर रहे है?

इस अवार्ड का सारा श्रेय हमारेस्टाफ, हमारे अधिकारीयों के साथ नोएडा के नियोक्ताओं एवं लॉ ऑफ लेबर एडवाइजर्स एसोसिएशन उ प्र को जाता है जिनका हमें पूरा सहयोग मिला है तथा इस अवार्ड के मिलने से हमारी जिम्मेवारी और बढ़ गयी है। तथा अब हम इस दिशा में प्रयासरत हैं की कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं को हमारे पास आने की जरुरत ही न पड़े तथा उनके सारे काम ऑनलाइन ही हो जाएँ।

नोएडा के पी एफ ऑफिस में कितने कर्मचारियों के खाते की देखभाल की जाती है?

नोएडा का पी एफ ऑफिस 14306 कारखानों एवं प्रतिष्ठानों के 3653669 कर्मचारियों के खातों की देखभाल करता है। इसमें से 220801 कर्मचारियों के खाते ऐसे हैं जो नॉन ऑपरेटिव हैं।

शिकायतों के निबटारे में आपका क्या योगदान रहता है? शिकायतों को आप कितनी प्राथमिकता देते हैं?

शिकायतों को हम प्राथमिकता के आधार पर निबटाते हैं। क्योंकि यदि हम इसमें सफल हो गए तो समझिये हम हर क्षेत्र में सफल होंगे। हमारे ऑफिस में 75 प्रतिशत शिकायतों का निबटारा मात्र 3 दिन में ही हो जा रहा है। जिसके लिए हमने विशेष सेल का गठन किया है जो शिकायतों के निबटारे के लिए विशेष रूप से कार्य करती है। नियोक्ताओं एवं कर्मचारियों की सुविधा के लिए पीएफ विभाग हमेशा तत्पर है।

‘‘के.वाई.सी.’’ अपडेट नहीं होने पर आपका विभाग कारखानों एवं प्रतिष्ठानों में नोटिस भेज रहा है, जबकि बहुत से कर्मचारी अपना आधार, बैंक अकॉउंट और पैन नहीं दे रहे हैं तो इसमें उनकी क्या गलती है?

यह एक जरुरी प्रक्रिया है जिसके तहत कर्मचारियों की पहचान विभाग के पास होनी चाहिए ताकि उनका पैसा उन्हीं के पास पहुँचे। बैंक की तरह हम भी लाखों कर्मचारियों के खातों की देखभाल करते हैं अतः इसमें कोई चूक न हो जाये इसलिए सरकार ने यह नियम बनाया है तथा नियोक्ता की जिम्मेवारी है की वह जिस भी कर्मचारी का पीएफ जमा कर रहा है तो उस कर्मचारी की ‘‘के.वाई.सी. ’’ अपडेट करवाये। तथा यदि किसी कर्मचारी का आधार नहीं बना है तो उसे बनवाये। आज कल तमाम आधार सेण्टर बने हैं या फिर बैंकों से भी आधार अपडेट हो रहा है। बैंक अकाउंट भी आसानी से खुल रहे हैं यदि कम्पनी चाहे तो जहाँ पर कम्पनी का बैंक अकाउंट है कम्पनी उसी बैंक में अपने कर्मचारी का सैलरी अकाउंट खुलवा सकता है। कर्मचारियों की ‘‘के.वाई.सी.’’ यदि नहीं अपडेट होगी, तो इसका नुकसान कम्पनी के साथ साथ कर्मचारियों का भी होगा। हमें नियोक्ताओं का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

बहुत से कर्मचारियों का पैन कार्ड नहीं है क्योंकि वे इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। फिर वे कैसे अपना पैन कार्ड के वाई सी के रूप में दे सकते हैं?

यदि कर्मचारी अपना पैन कार्ड नहीं देंगे तो हम पी एफ निकासी के समय इनकम टैक्स के नियमानुसार उनका पीएफ 34.608 प्रतिशत काट कर देंगे और यदि वे पैन कार्ड दे देंगे तो उनके पी एफ से टी डी एस मात्र 10 प्रतिशत ही कटेगा। (यदि पचास हजार से अधिक दावे का भुगतान होता है और पाँच साल के पहले पी एफ भुगतान होता है तो टी डी एस कटेगा।)

कर्मचारी अपने खाते के बारे में मोबाइल से किस तरह जानकारी प्राप्त कर सकता है?

कर्मचारियों को अपने खाते के बारे में उमंग एप से सभी जानकारी मिलती हैं। उमंग एप कर्मचारियों को सीधे पीएफ विभाग से जोड़ता है। सभी नियोक्ताओं को खुद भी उमंग एप से जुड़ना चाहिए तथा अपने कर्मचारियों को भी उमंग एप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। क्योंकि इस एप पर नियोक्ताओं के साथ साथ कर्मचारियों की भी पूरी जानकारी मिल जाती है। इस एप में अपनी जानकारियों को ऑनलाइन अपडेट करने की भी सुविधा है लेकिन उसके लिए आपका के वाई सी अपडेट होना जरुरी है। यदि नहीं है तो आप पहले एप से अपनी के वाई सी अपडेट कर दें।

अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारियों का पी एफ अंशदान भी क्या जमा करना अनिवार्य है?

हाँ, बिलकुल वे भी कर्मचारी हैं तथा उनकी भी सोशल सिक्योरिटी की जिम्मेवारी हमारी है। यह उस पर निर्भर करता है की किन देशों से हमारा एग्रीमेंट है तथा यदि कोई उनका पीएफ नहीं जमा करता है तो यह अपराध है तथा उस कंपनी के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारियों के अंशदान में लापरवाही बरतने में विभाग ने कम्पनियों से लगभग 3. 5 करोड़ रुपये वसूले हैं तथा अभी वसूली कार्यवाही जारी है।

कर्मचारियों के पी एफ के भुगतान की क्या समय सीमा है? क्या आपका विभाग उक्त समय सीमा में भुगतान दावों का भुगतान कर रहा है?

यदि कर्मचारियों की के वाई सी पूरी है तथा सारे डाक्यूमेंट्स कम्पलीट हैं तो हमारा ऑफिस मात्र 3 दिन में सभी दावा प्रपत्रों का भुगतान कर देता है। कर्मचारियों के पी एफ भुगतान में हमारा ऑफिस लगभग 91 प्रतिशत भुगतान अधिकतम 20 से 25 दिन के अन्दर कर रहा है। जिसमे से लगभग 60 प्रतिशत का भुगतान तो तीन दिन में ही हो रहा है। जिनका भुगतान नहीं हो पा रहा है वो केवल कुछ डाक्यूमेंट्स की कमी की वजह से ही रुका हुआ है। अब सभी दावे ऑनलाइन ही स्वीकार किये जायेंगे।

प्रधानमन्त्री रोजगार प्रोत्साहन योजना क्या है तथा इसके तहत कितनी कम्पनियों के कितने कर्मचारियों का इसका लाभ मिल चुका है? कुल कितनी सब्सिडी अभी तक मिल चुकी है?

प्रधानमन्त्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत 1 अप्रैल 2016 से नए कर्मचारियों के नियोक्ता के अंशदान का 8.33 प्रतिशत सरकार द्वारा दिया जा रहा था जो कि 1 अप्रैल 2018 से बढाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसा नियोक्ताओं को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले और पी एफ का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे। प्रधानमन्त्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत नोएडा में 1 अप्रैल 2016 से 31 दिसम्बर 2018 तक 3156 प्रतिष्ठानों एवं कारखानों के 325008 कर्मचारियों को रजिस्टर किया जा चुका है जिसमे से 2560 प्रतिष्ठानों एवं कारखानों के 287018 कर्मचारियों का लाभ कम्पनियाँ उठा चुकी हैं जिसके तहत कुल 862929628 रुपयों की सब्सिडी कम्पनियों को दी जा चुकी है। और कर्मचारियों के हिसाब से नोएडा का स्थान पूरे देश में आठवें स्थान पर है।

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