कोरोना संदिग्ध बेटी को छिपाने में पिता पर केस

Mar 16, 2020

कोरोना संदिग्ध बेटी को छिपाने में पिता पर केस

यूरोप से हनीमून मनाकर लौटी आगरा की रहने वाली कोरोना की संदिग्ध पीड़िता को तीन घंटे तक छिपाने पर पिता के खिलाफ 123 साल पुराने महामारी अधिनियम (एपिडेमिक एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इस अधिनियम के तहत यह देश का पहला केस है। बेंगलुरु में पति के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी युवती वहां से विमान से दिल्ली आई और फिर गतिमान एक्सप्रेस से आगरा तक का सफर किया। आगरा में तैनात रेलवे अधिकारी की बेटी की शादी फरवरी में मुंबई निवासी युवक से हुई थी। दंपती बेंगलुरु में आइटी सेक्टर में कार्यरत है। दोनों मार्च में ग्रीस और फ्रांस से हनीमून मनाकर बेंगलुरु लौटे तो पति में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। दोनों को घर में आइसोलेशन में रहने को कहा गया था, लेकिन युवती नौ मार्च को विमान से बेंगलुरु से दिल्ली चली आई और फिर गतिमान एक्सप्रेस में आगरा चली गई। 12 मार्च को स्वजनों ने युवती की जांच कराई तो उसे हैवी वायरल लोड से ग्रसित पाया गया। रिपोर्ट आते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम युवती को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराने उसके घर पहुंची। वहां उसके पिता ने बेटी के मंगला एक्सप्रेस से दिल्ली जाने और वहां से विमान से बेंगलुरु जाने की बात कहकर गुमराह किया। सीएमओ, सिटी मजिस्ट्रेट, एडीएम सिटी को भी सही जानकारी नहीं दी। करीब तीन घंटे बाद उसने बेटी को प्रशासन को सौंपा। फिलहाल वह सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है। पुणो स्थित राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (एनआइवी) में उसका सैंपल दोबारा जांच के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट का इंतजार है। रेलवे अफसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। ये है महामारी अधिनियम 1897: आइपीसी की धारा 269, 270 में ऐसा कार्य जिससे रोग का संक्रमण फैल सकता है, मुकदमा दर्ज कराया जाता है। इस अधिनियम के तहत सीएमओ संबंधित को हिरासत में लेकर जांच करा सकते हैं। इसमें सजा का भी प्रावधान है। आइसोलेशन में रहेंगे गतिमान के यात्री व कर्म कोरोना संदिग्ध युवती ने गतिमान एक्सप्रेस की जिस बोगी में दिल्ली से आगरा तक यात्र की थी उसके अन्य 76 यात्रियों व 15 कर्मचारियों को 14 दिन तक आइसोलेशन में रहने का निर्देश दिया है।

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