क्या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत आवेदन पर ग़ौर करने का अधिकार है

May 22, 2019

क्या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत आवेदन पर ग़ौर करने का अधिकार है

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के आदेश के ख़िलाफ़ सीधे अपील की अनुमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत सीजेएम के क्षेत्राधिकारों के बारे में विभिन्नहाइकोर्टों ने अलग-अलग मत व्यक्त किया है। इस अधिनियम की धारा 14 के तहत सीजेएम या ज़िलाधिकारी को यह अधिकार है कि वह सुरक्षित ऋणदाताओं को को सुरक्षित परिसंपत्ति को हासिल करने में मदद करे। केरल हाईकोर्ट द्वारा इस बारे में जोमिसाल स्थापित किया है उसके हिसाब से राज्य में सीजेएम धारा 14 के तहत आवेदन की सुनवाई करता है। इसी तरह का एक आदेश एर्नाकुलम के विशेष अतिरिक्त सीजेएम ने जारी किया जो कि फ़ेडरल बैंक के पक्ष में और हार्ली कर्मबेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ था। इस आदेश की सुप्रीम कोर्ट के सामने आलोचना की गई। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की पीठ ने अंतरिम आदेश जारी किया जिसमें बैंक को सात सप्ताह के लिए कम्पनी की संबंधित परिसंपत्ति को अपने क़ब्ज़े में लेने से रोक दिया गया साथ ही इसमामले में किसी भी तरह से तीसरी पार्टी के पक्ष में अधिकार देने से रोक दिया। पीठ ने इस मामले को केरल हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक अन्य दीवानी अपील के साथ जोड़ दिया है। इस मामले में यह भी कहा गया कि कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास हाईकोर्ट ने यह मत व्यक्त किया है कि SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत सीजेएम किसी आवेदन पर ग़ौर नहीं कर सकता।

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लेकिन इसके उलट केरल, आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फ़ैसला दिया है कि सीजेएम को यह अधिकार है। केरल हाईकोर्ट ने Mohd. Ashraf v. Union of India मामले में अपने फ़ैसले में कहा कि ग़ैर-मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में सीजेएम को वही अधिकार है जो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को हैऔर इस तरह उसे अधिनियम की धारा 14 के तहत मामले की सुनवाई का अधिकार है। इलाहाबाद ने यही फ़ैसला Abhishek Mishra vs State Of UP मामले में दिया। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की भी राय यही थी कि सीजेएम को इस मामले को सुनने का अधिकार है। दूसरी ओर मद्रास हाईकोर्ट ने K Arockiyaraj vs Chief Judicial Magistrate, Srivilliputhur मामले मेंअपने फ़ैसले में कहा कि सेक्योर्ड क्रेडिटर्स मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में सीएमएम के पास जा सकता है और ग़ैर-मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स को ज़िला मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा न कि मुख्य न्यायिकमजिस्ट्रेट के पास।

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