[बलात्कार दोषसिद्धि अपील] सीआरपीसी की धारा 374 (4) और धारा 377 (4) के तहत हाईकोर्ट के समक्ष लंबित सभी अपीलों की पहचान करें: पटना हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया

Jun 27, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in

यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीआरपीसी की धारा 374 (4) में कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, धारा 376ए, धारा 376एबी, धारा 376बी, धारा 376सी, धारा 376डी, धारा 376डीए, धारा 376डीबी, या आईपीसी की धारा 376ई के तहत दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील करता है तो ऐसी अपील का निपटारा छह माह के भीतर करना होगा।
इसी तरह सीआरपीसी की धारा 377 (4) में कहा गया है कि जब राज्य सरकार आईपीसी की धारा 376, धारा 376ए, धारा 376एबी, धारा 376बी, धारा 376सी, धारा 376डी, धारा 376डीए, धारा 376डीबी, या धारा 376ई के तहत पारित सजा के खिलाफ अपील करती है तो ऐसी अपील का निपटारा छह महीने के भीतर करना होगा। जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस खातिम रजा की खंडपीठ वर्तमान मामले में आईपीसी की धारा 363, 366ए, 376 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) (w)(i), 3(2)(v) के तहत दोषसिद्धि के खिलाफ गुड्डू कुमार द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी।
कोर्ट ने कहा कि भले ही अपील जुलाई 2018 में दायर की गई थी, लेकिन लगभग चार साल तक लंबित रहने के बावजूद इसका निपटारा नहीं किया जा सका। इस संबंध में सीआरपीसी की धारा 374 उप-धारा (4) के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने इस प्रकार देखा : " दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374 की उप-धारा (4) में अभिव्यक्ति ' होगा ' को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह उक्त प्रावधान के तहत निर्धारित अवधि के भीतर ऐसी अपीलों के त्वरित निपटान के लिए उक्त प्रावधान के तहत विधायी मंशा का खुलासा करता है।"
न्यायालय ने यह भी नोट किया कि आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को 21.04.2018 को प्रख्यापित किया गया था, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कहा गया कि आईपीसी की धारा 376, धारा 376ए, धारा 376एबी और धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB या धारा 376E के तहत दंडनीय अपराधों के संबंध में दोषसिद्धि या बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील का निपटारा अपील दायर करने की तारीख से छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 374 की उप-धारा (4) और धारा 377 की उप-धारा (4) के अंतर्गत आने वाली अपीलों की अंतिम सुनवाई और निपटान में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और इसलिए, इसने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि ऐसी अपीलों की पहचान की जाए जिससे माननीय मुख्य न्यायाधीश से आवश्यक आदेश प्राप्त करने के बाद ऐसे मामलों को उचित हेडिंग के तहत सूचीबद्ध करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। कोर्ट ने इस मामले को 19.07.2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
 

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