Israel-Hamas war: मध्य-पूर्वी देशों में क्या होगी चीन की कूटनीति, गाजा युद्ध में अमेरिका को टक्कर देगा ड्रैगन!
इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ने के बाद से चीन ने हमास की आलोचना करने से लगातार परहेज किया है और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की बात करते हुए द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की बात कही.
इजरायल-हमास युद्ध के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अरब और मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों के विदेश मंत्रियों से बीजिंग में मुलाकात की है. इस दौरान उन्होंने कहा कि गाजा में चल रहे युद्ध को रोकने के लिए दुनिया के देशों को एकसाथ आना चाहिए. बता दें कि सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, इंजोनेशिया और इस्लामिक संगठन के प्रमुख देशों ने चीन में बैठक कर इस बात के लिए सहमति दर्ज की है कि युद्ध को कैसे रोका जाए.
युद्ध रोकने में चीन की होगी अहम भूमिका
बताया जा रहा है कि गाजा युद्ध को रोकने के लिए चीन एक बड़ी भूमिका निभाना चाहता है, इसलिए वह इन देशों के विदेश मंत्रियों मुलाकात मेजाबानी करना चाहता है. इसके साथ ही यह बात भी कही जा रही है कि एक ओर जहां मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश और अरब के देश विकास प्राथमिकात देने के लिए चीन की ओर रुख कर रहे हैं, इससे प्रतीत हो रहा है कि पूरी कहीं दुनिया दो ध्रुव में बंटने वाली तो नहीं है. बीजिंग में बैठक के दौरान वांग यी ने कहा कि युद्ध को जल्द रोकने के लिए पूरी दुनिया के देशों को इस पर आम सहमति दर्ज करनी चाहिए और मानवीय तबाही रोकनी चाहिए.
इस्लामिक देशों के साथ काम करना जारी रखेगा
वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक्स पर लिखा कि चीन शीघ्र सीजफायर के साथ गाजा में मानवीय राहत पहुंचाने के लिए मध्य पूर्व देशों और अरब-इस्लामिक कंट्री के बीच काम करना जारी रखेगा. समाचार एजेंसी रायटर्स की मानें तो चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन अरब और इस्लामिक कंट्री का हमेशा से दोस्त और भाई की तरह रहा है. उसने हमेशा से फलीस्तीनियों के अधिकारों की तरफदारी की है.
मिस्र के विदेश मंत्री ने चीन के साथ जताई सहमति
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री के साथ इस बात से सहमति दर्ज करते हुए मिस्र विदेश मंत्री सामेह शौक्री ने कहा कि इजरायल और हमास युद्ध का जल्द ही निवारण होना चाहिए. जिसमें चीन की बड़ी भूमिका हो सकती है. उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स पर लिखा कि गाजा में हो रहे युद्ध को रोकने के लिए चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अहम भूमिका निभा सकता हैं. शौक्री ने कहा कि कई महत्वपूर्ण देशों को इजरायली हमलों को कवर अप करते हुए देखा गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
चीन ने जंग के बाद से ही हमास की आलोचना से परहेज किया
बता दें कि गाजा में इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ने के बाद से चीन ने हमास की आलोचना करने से लगातार परहेज किया है और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की बात करते हुए द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की बात कही है. इसी के साथ माना जा रहा है कि चीन मध्य पूर्वी देशों के बीच अमेरिकी वर्चस्व को कम करने के लिए लगातार अरब-इस्लामिक देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि उनके साथ संबंध सुधारकर वहां पर अपना प्रभाव बढ़ा सके. बीते एक साल में देखा जाए तो चीनी राजदूत ने अरब और इस्लामिक देशों के साथ मिलकर द्विराष्ट्र की बात करता आ रहा है. इसके लिए अरब देशों के जिम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक की हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फलीस्तीन के मुद्दे को इग्नोर नहीं किया जा सकता
चीन के राजदूत जाई जुन ने कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फलीस्तीन के मुद्दों को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. इसलिए फलीस्तीन के प्रश्न पर दो राज्य के सिद्धांत पर तेजी से काम करने की जरुरत है. बता दें कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एके महापात्रा ने कहा कि मध्य पूर्व में चीन अपने प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है. लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पाएगा. प्रोफेसर महापात्रा ने आगे कहा कि इस युद्ध में इजारयल के पीछे अमेरिका खड़ा है और वह कभी भी नहीं चाहेगा कि उसकी चीन ले ले. अमेरिका कभी भी इजरायल का साथ नहीं छोड़ेगा. क्योंकि बाइडेन सरकार का लोगों की ओर से भारी विरोध के बाद भी उन्होंने इजरायली सेना को मदद देना बंद नहीं किया.
ईरान ने हमास के युद्ध में झोंका
उन्होंने कहा कि ईरान चाहता है कि इजरायल इस युद्ध को जल्द से जल्द बंद करे ताकि उसकी साख बची रहे. ईरान ने हमास को उकसाया है और जब हमास इस युद्ध में घिर गया तो ईरान ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और पीछे से उसकी मदद करने की बात कह रहा है. मुझे लगता है कि आज ईरान की बात में आकर ही चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमास के समर्थन में बात रख रहा है. ईरान का भी लगातार कहना है कि गाजा में युद्ध के हालात अच्छे नहीं है, इसलिए इसने निपटाने के लिए वह हर समय चीन के साथ संवाद करने के लिए तैयार है.