कोरोना को कोई भी हरा सकता है, मैंने हराया
कोरोना को कोई भी हरा सकता है, मैंने हराया
राजधानी के पहले कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज अब स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। उनका कहना है कि घर लौटना उनके लिए सपने जैसा है। वह इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग का आभार जता रहे हैं। मयूर विहार फेज-दो में रहने वाले टेक्सटाइल कारोबारी को 14 मार्च को सफदरजंग अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। फिलहाल वह 14 दिनों के लिए अपने घर में आइसोलेट रहेंगे। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि दो दिन निकल गए हैं। अभी करीब 12 दिन बचे हैं। उन्होंने बताया कि वह 16 फरवरी को इटली गए थे। 25 फरवरी को जब वह वापस आए थे तो रात में उन्हें बुखार हुआ। इसके बाद 28 फरवरी को बच्चे के जन्मदिन की पार्टी होटल हयात में थी। पार्टी से लौटकर जब घर आए तो काफी तेज बुखार आ गया। 29 फरवरी को वह आरएमएल अस्पताल जांच कराने पहुंचे, जहां उनकी रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई। बाद में उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया। सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने ने उन्हें भरोसा दिया कि यहां से वह ठीक होकर लौटेंगे। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। इलाज के बाद नौ मार्च को उनका टेस्ट हुआ। अगले दिन रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद 11 मार्च को फिर से टेस्ट हुआ। 12 मार्च को फिर से रिपोर्ट नेगेटिव थी। इसके बाद उन्हें छुट्टी देने का फैसला किया गया। वह 14 मार्च को घर लौट आए। उनके संपर्क में आने वाले कुल छह लोग संक्रमित थे। इनमें से चार घर लौट चुके हैं। दो अभी अस्पताल में हैं। दोनों से फोन पर लगातार बात हो रही है। उनसे बात कर उन दोनों का भी आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वे भी अपने घर लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर अभी भी कुछ लोग कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद सामने नहीं आ रहे हैं तो यह दुखद है। वह अपने परिवार के साथ अन्य लोगों के लिए दिक्कतें पैदा कर रहे हैं। मेरी तरह वह भी सामने आएं, इलाज कराएं और स्वस्थ होकर घर लौटें। जब डॉक्टरों ने पिलाया जूस आज के समय में जब कोई पानी नहीं पूछता, सफदरजंग अस्पताल के दो डॉक्टरों ने अपने पैसों से जूस मंगवाकर उन्हें पिलाया। एक दिन वार्ड में मास्क लगाए दो डॉक्टर आए। मैंने कहा कि, मन खराब सा लग रहा है। जूस मिल सकता है क्या। इस पर दोनों डॉक्टरों ने अपनी जेब से पैसे देकर जूस मंगवाया। वार्ड में फोन और किताबों के साथ बिताया समय उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल में सरकार की तरफ से बेहतरीन सुविधाएं दी गई हैं। उनके साथ डॉक्टरों और नर्सों का व्यवहार भी बहुत अच्छा रहा। यही वजह है कि वह जल्दी ठीक हो गए। उन्होंने बताया कि वार्ड में उनके पास मोबाइल था जिससे वह अपने स्वजनों से लगातार वीडियो कॉल के जरिये संपर्क में रहे। इसके साथ किताबें भी उन्हें पढ़ने के लिए उपलब्ध कराई गई थीं। मोबाइल और किताबों को सैनिटाइज कर उन्हें दिया गया था। घर वालों से बातचीत करके अच्छा लगता था। उन्होंने बताया कि परिवार के कई सदस्यों ने उनके लिए कई धार्मिक स्थलों पर जाकर मन्नतें मांगी हैं। वह घर से बाहर निकलेंगे तो पहले उन स्थानों पर जाएंगे।
मुरलीधर ने कहा उन्हें संबोधित करते हुए वकील "माय लॉर्ड" या "यौर लॉर्डशिप" जैसे शब्दों का उपयोग न करें जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/muralidhar-said-that-while-addressing-them-lawyers-do-not-use-words-like-my-lord-or-your-lordship