बीमा प्रस्ताव फ़ॉर्म में पहले से मौजूद बीमारी का ज़िक्र नहीं करना अस्वीकरण का उचित आधार : सुप्रीम कोर्ट

May 01, 2019

बीमा प्रस्ताव फ़ॉर्म में पहले से मौजूद बीमारी का ज़िक्र नहीं करना अस्वीकरण का उचित आधार : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जीवन बीमा निगम की एक याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उसने कहा था कि बीमित व्यक्ति ने हृदय की बीमारी का ज़िक्र नहीं किया था और इसलिए उसके पास अस्वीकरण का उचित अधिकार है। मनीष गुप्ता ने एलआईसी की मेडिक्लेम पॉलिसी ख़रीदी थी। इसके लिए प्रस्ताव फ़ॉर्म में स्वास्थ्य और चिकित्सा संबंधी विवरण भरने की ज़रूरत होती है। उसने हृदय रोग से संबंधित सूचनाओं के बारे में नकारात्मक जानकारी दी थी। पर माइट्रल वाल्व रेप्लेस्मेंट ऑपरेशन होने के बाद उसने दावा किया। एलआईसी ने इस दावे को इसलिए ख़ारिज कर दिया कि वह बीमा लेने से पहले ही इस बीमारी से ग्रस्त था।

यह भी पढ़े -

CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप : इन- हाउस पैनल की जांच पूरी होने तक साजिश के दावों की छानबीन नहीं करेंगे जस्टिस पटनायक  जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक http://uvindianews.com/news/charges-of-sexual-harassment-against-cji-justice-patnaik-will-not-investigate-conspiracy-claims-till-completion-of-inquiry-in-house-panel

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता आयोग और ज़िला फ़ोरम जिसने उसकी अपील माँ ली थी, ने इस बात की पुष्टि की कि डॉक्टर के नोट में इस बात का संकेत नहीं है मरीज़ द्वारा दी गई सूचना पर यह आधारित है। एलआईसी की अपील पर पीठ ने कहा, "इलाज का रेकर्ड बताता है कि प्रतिवादी का एमवीआर का ऑपरेशन हुआ। ऐसा बताया गया है कि उसको रूमैटिक हार्ट डिजीज है। हॉस्पिटल ने उसकी इसी बात की इलाज की है। कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी कोई ख़ुलासा नहीं करने के आधार पर उसके दावे को निरस्त कर दिया गया है। इस अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, "इस बात के दस्तावेज़ी साक्ष्य हैं कि प्रतिवादी ने इस बात का ज़िक्र नहीं किया था कि उसे बचपन से ही हृदय रोग है। इस तरह उसके दावे को नीति के अनुरूप ही ख़ारिज कर दिया गया है और बीमाकर्ता ने सही आधार पर ऐसा किया है।"

यह भी पढ़े -

हमला करने या मामूली चोट पहुंचाने के सभी मामलों को नहीं लाया जा सकता है नैतिक या न्यायसंगत भ्रष्टता वाले अपराध की श्रेणी में-सुप्रीम कोर्ट जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/all-cases-of-attack-or-minor-injuries-can-not-be-brought-into-the-category-of-crimes-of-ethical-or-equitable-corruption-supreme-court

आपकी राय !

अग्निवीर योजना से कितने युवा खुश... और कितने नहीं वोट करे और कमेंट में हमे वजह बातए ? #agniveer #agniveeryojana #opinionpoll

मौसम