कल है आमलकी एकादशी, जानिए भगवान विष्णु की पूजा का विधि और उपवास के नियम

Mar 02, 2023

साल की 24 एकादशियों को सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। इन्हीं में से आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इसे आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस बार आमलकी एकादशी 3 मार्च को पड़ रही है और भगवान विष्णु के लिए इसी दिन व्रत आदि किया जाएगा। आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी व्रत का विधान है और इसी दिन रंगभरी एकादशी होती है और इसके उपलक्ष्य में भगवान शिव औऱ मां पार्वती की पूजा की जाती है। सभी एकादशियों में एकमात्र आमलकी एकादशी ऐसी एकादशी है जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी पर पूजा करने से मोक्ष प्राप्ति होती है और सांसारिक पाप कट जाते हैं। ब्रह्मवेवर्त पुराण में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से एक हजार गायों के दान का पुण्य मिलता है औऱ इस दिन किए गए दान से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है और भगवान विष्णु को आंवले का भोग अर्पित किया जाता है। यहां हम आपको भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी व्रत के नियम और संयम बता रहे हैं।

 

चलिए जानते हैं कि आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कैसे करें

 

सुबह नहा धोकर भगवान विष्णु का स्मरण करें। इसके बाद पूजा घर के सामने एक पीले रंग का लकड़ी का पाटा रखें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। अब इस पाटे पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को विराजित करें। साथ में कलश स्थापना करें और हाथ में गंगाजल औऱ अक्षत लेकर भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लीजिए। अब भगवान विष्णु को चंदन का तिलक करें, फिर रोली और हल्दी से भी तिलक करें और अक्षत अर्पित करें। अब भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला पहनाएं। अब तुलसी दल भगवान को अर्पित करें। इसके बाद आंवला फल के साथ साथ फल, फूल, मिठाई, घर में बने पकवान आदि भगवान  को भोग लगाएं। इसके साथ ही मीठा पान, सुपारी आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप जलाकर उनकी आरती करें और फिर विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा करें क्योंकि एकादशी पर मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।

 

इसके पश्चात दोपहर को भगवान का स्मरण करना चाहिए, इसके पश्चात परिवार के साथ आमलकी एकादशी व्रत की कथा को सुनें और भजन कीर्तन करें। सांयकाल को अन्न, जल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।

 

एकादशी व्रत के नियम - 

 

एकादशी तिथि का व्रत दशमी की रात से ही आरंभ हो जाता है। इस दिन रात को जमीन पर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

एकादशी पर फलाहारी और निराहारी व्रत का प्रावधान है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत भजन कीर्तन करना चाहिए।

इस दिन दान आदि करना काफी शुभ माना जाता है। 

एकादशी के व्रत में चावल, सेम की सब्जी, बैंगन, मूली, लहसुन प्याज आदि का सेवन निषेध कहा जाता है।

एकादशी के व्रत में किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए। ना ही किसी की चुगली और निंदा करनी चाहिए।

इस दिन दोपहर में सोने की बजाय प्रभु का सिमरण करना चाहिए।

इस दिन ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करना चाहिए।

इस दिन फलाहारी व्रत कर रहे हैं तो एक ही बार भोजन करें। 

इस दिन रात्रि को जमीन पर बिस्तर लगाना चाहिए औऱ रात सोने की बजाय भगवान के लिए जागरन करने की सलाह दी जाती है।

इस दिन किसी से मांग कर भोजन नहीं करना चाहिए।

इस दिन तुलसी के पत्ते भूलकर भी नहीं तोड़ने चाहिए बल्कि इसका पेड़ लगाना चाहिए।

इस दिन तुलसी की सेवा करने से शुभ फल मिलते हैं। 

इस दिन किसी पेड़ पौधे या फूल को नहीं तोड़ना चाहिए

आमलकी एकादशी पर आंवले का पेड़ लगाना चाहिए।

आमलकी एकादशी पर आंवले का प्रसाद वितरित करना चाहिए।

इस दिन आंवले  के रस से भगवान विष्णु का अभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।