बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा अनिल देशमुख को जमानत दिए जाने को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

Dec 19, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in/

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को भ्रष्टाचार के मामले में बार मालिकों से कथित अवैध वसूली और पुलिस तबादलों में भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दी गई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर के अपने आदेश के जरिए सीबीआई को जमानत के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए दस दिन का समय दिया था।
2 नवंबर, 2021 को गिरफ्तारी के बाद से देशमुख हिरासत में हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जमानत दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था। सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया। याचिका के अनुसार, प्रारंभिक जांच से प्रथम दृष्टया पता चला है कि देशमुख के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनता है, जहां उन्होंने अज्ञात अन्य लोगों के साथ सार्वजनिक कर्तव्य के अनुचित और बेईमान प्रदर्शन के लिए अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया।
याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने जमानत देते समय गंभीर त्रुटि की, क्योंकि वह देशमुख को आगे की जांच पर जमानत देने के परिणाम पर विचार करने में विफल रहा, जो अभी भी लंबित है। याचिका में यह भी जोड़ा गया, "हाईकोर्ट इस बात की सराहना करने में विफल रहा कि आर्थिक अपराधों को अपराधों की अलग श्रेणी के रूप में माना जाना आवश्यक है और ऐसे अपराधों में जमानत को नियमित मामले के रूप में दिए जाने की आवश्यकता नहीं है। आमतौर पर, सामाजिक-आर्थिक अपराधों में गहरी जड़ें होती हैं, जो समाज के नैतिक ताने-बाने को प्रभावित करती हैं। इस अपूरणीय क्षति के कारण इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।" यह कहते हुए कि हाईकोर्ट देशमुख द्वारा किए गए अपराधों की गंभीरता की सराहना करने में विफल रहा है, जब वह महाराष्ट्र सरकार में बहुत उच्च पद पर आसीन थे, याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द किया जाना चाहिए।

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