सरकारी कर्मचारी नहीं है पूर्ण पेंशन/मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी यानि ऐच्छिक दान का हकदार,अगर लंबित है अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही-इलाहाबाद हाईकोर्ट

May 25, 2019

सरकारी कर्मचारी नहीं है पूर्ण पेंशन/मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी यानि ऐच्छिक दान का हकदार,अगर लंबित है अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही-इलाहाबाद हाईकोर्ट

यह उतनी ही पक्की या स्पष्ट है जितनी की मौत,के अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कोई न्यायिक कार्यवाही लंबित है भले ही वह सिविल प्रकृति की हो या आपराधिक प्रकृति की,उसको ग्रेच्युटी या ऐच्छिक दान नहीं मिल सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुलबेंच ने कहा है कि अगर किसी सरकार कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही लंबित है तो वह उस दौरान पूर्ण पेंशन/मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं है। पीठ सरकारी नौकर के उस अधिकार के मुद्दे पर एक संदर्भ पर विचार कर रही थी,जिसमें पूछा गया था कि क्या मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी वह अपनी सेवानिवृत्ति या अन्यथा लंबित न्यायिक कार्यवाही पर पाने का हकदार है या नहीं।

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न्यायमूर्ति पंकज मिथल,न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि सरकारी कर्मचारी को पूर्ण पेंशन/मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति गे्रच्युअी का अधिकार अनुशासनात्मक/ न्यायिक कार्यवाही के परिणाम के अधीन है और सक्षम अधिकारी द्वारा दिए जाने वाले अंतिम आदेश पर निर्भर है। पीठ ने एक दो सदस्यीय खंडपीठ के फैसले को बरकरार रखा,जिसमें विचार था कि सिविल सेवा विनियम के अनुच्छेद 351,351-ए में पेंशन'शब्द में विशेष रूप तौर पर 'ग्रेच्युटी' को शामिल किया गया है।इन नियमों का उल्लेख करते हुए पीठ ने देखा कि-

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-भविष्य का अच्छा आचरण पेंशन के सभी अनुदान की शर्त है। पूर्ण पेंशन निश्चित रूप से नहीं दी जानी चाहिए या जब तक प्रदान की गई सेवांए संतोषजनक नहीं हो जाती है।


-अनुच्छेद 351 और/या 351-ए को राज्य सरकार या राज्यपाल द्वारा लागू किया जा सकता है,जैसा भी मामला हो सकता है,अगर पेंशनभोगी(ंए) -गंभीर अपराध में दोषी ठहराया जाए, (ंबी)-गंभीर दुराचार के दोषी हो, (ंसी)-सेवा में सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का कारण बना। किसी भी स्थिति में शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। वहां की कार्रवाई दंडात्मक है।


-सेवानिवृत्ति की तिथि के समय अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही लंबित है या सेवानिवृत्ति के बाद शुरू की गई है,अनुच्छेद 919-ए के तहत अनिवार्य अधिक्तम पेंशन के समान अल्पकालीन पेंशन कार्यवाही के समापन तक की अवधि के लिए सरकारी कर्मचारी को दी जा सकती है।


-अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही/प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा की जाने वाली जांच के दौरान सरकारी कर्मचारी को कोई ग्रेच्युटी तब तक नहीं दी जा सकती है,जब तक की इन कार्यवाही/जांच का निष्कर्ष नहीं निकल जाता और सक्षम अधिकारी द्वारा आदेश पारित नहीं किया जाता है।


-विनियमों में कहा गया है कि कार्यवाही के लंबित होने से लेकर अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने की अवधि के लिए सरकारी कर्मचारी अधिक्तम पेंशन के बराबर अल्पकालीन पेंशन पाने का हकदारहै। विनियम पेंशनभोगी को लंबित कार्यवाही के चलते हो रही 'कठिनाई' के आधार पर पूर्ण पेंशन/ग्रेच्युटी के अधिकार को अनिवार्य नहीं बनाते है।


-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लगे आरोप/आरोपों की प्रकृति कार्यवाही के दौरान खत्म नहीं होती है। सरकारी कर्मचारी चाहे वह सक्षम अधिकारी की राय में 'गंभीर अपराध और/या'गंभीर कदाचार' का दोषी हो,अनुशासनात्मक/न्यायिक कार्यवाही के समापन पर अंतिम आदेश पारित करते समय उसका मूल्यांकन/विचार किया जा सकता है।


-पेंशन/ग्रेच्युटी पर पड़ने वाला प्रभाव सक्षम अधिकारी द्वारा मामले पर विचार करने और कार्यवाही के समापन पर दिए जाने वाले निष्कर्ष के बाद उत्पन्न होता है।इसके बाद सरकारी कर्मी का कार्य या पक्ष बनता है,न कि लंबित कार्यवाही/ पूछताछ के चरण में।

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