अब कई गुना बढ़ जाएगी निजी कर्मचारियों की पेंशन, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

Apr 02, 2019

अब कई गुना बढ़ जाएगी निजी कर्मचारियों की पेंशन, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए काफी अच्छी खबर है. उनके पेंशन में अब कई गुना बढ़त हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए रास्ता साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में ईपीएफओ की आपत्ति‍ को खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के सभी कर्मचारियों के पेंशन में भारी बढ़त का रास्ता साफ कर दिया है. इससे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पेंशन में कई गुना बढ़त हो जाएगी. कोर्ट ने इस मामले में ईपीएफओ की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट फैसले को बरकरार रखा है. केरल हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था. फिलहाल ईपीएफओ द्वारा 15,000 रुपये के बेसिक वेतन की सीमा के आधार पर पेंशन की गणना की जाती है.

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गौरतलब है कि कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उसके नाम से नियोक्ता जमा करता है. कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदा हिस्सा पेंशन फंड में जाता है और बाकी 3.66 पीएफ में. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अब यह रास्ता साफ कर दिया है कि निजी कर्मचारियों के पेंशन की गणना पूरे वेतन के आधार पर हो. इससे कर्मचारियों की पेंशन कई गुना बढ़ जाएगी.

EPF पेंशन  या EPS एक पेंशन स्कीम है़, जिसके तहत प्राइवेट सेक्टर के संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी के दौरान बेसिक सेलरी के 8.33 फीसदी (1250 रुपए मासिक से ज्यादा नहीं) के बराबर पैसा इस स्कीम में जमा होता है. इसके एवज में, यह कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद निश्चित ​मासिक पेंशन प्रदान करती है.

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कितनी होगी पेंशन में बढ़त

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पेंशन में कितनी बढ़ोतरी होगी. इसे आप इस चार्ट से समझ सकते हैं. 

कार्य के वर्ष          अंतिम वेतन         पहले के नियम से पेंशन (प्रति महीना रुपये में)       कोर्ट के आदेश के बाद पेंशन
 33                       50,000                            5,180                                                                     25,000
 25                       50,000                            3,425                                                                     19,225
 20                       50,000                            2,100                                                                     14,285
 33                      1,00,000                          5,180                                                                     50,000
 25                      1,00,000                         3,425                                                                      38,571
 20                      1,00,000                         2,100                                                                      28,571

भारत सरकार का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ही सभी कर्मचारियों के  ईपीएफ और पेंशन खाते को मैनेज करता है. हर ऐसा संस्थान जहां पर 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, उसे EPF में हिस्सा लेना होता है. ईपीएस इस योजना के साथ जुड़कर चलती है इसलिए ईपीएफ स्कीम का मेंबर बनने वाला हर शख्स पेंशन स्कीम का मेंबर अपने आप बन जाता है.

EPF या EPS में, ऐसे कर्मचारियों का अंशदान जमा होना अनिवार्य है, जिनका बेसिक वेतन + DA 15000 रुपये या इससे अधिक होता है. जो कर्मचारी इससे अधिक बेसिक सैलरी पाते हैं, उनके पास ईपीएफ और EPS को अपनाने या छोड़ने का विकल्प होता है. आपके पीएफ खाते में नियोक्ता जो पैसा डालता है उसका एक हिस्सा पेंशन स्कीम के लिए ही इस्तेमाल होता है, जबकि आपकी सैलरी से जो पैसा कटता है वो पूरा का पूरा ईपीएफ स्कीम में चला जाता है.

तो अगर पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन बनी तो कर्मचारियों का पेंशन कई गुना बढ़ जाएगा. इसमें नुकसान बस इतना है कि पेंशन तो बढ़ेगा, लेकिन पेंशन फंड की निधि कम हो जाएगी, क्योंकि अतिरिक्त योगदान ईपीएफ में जाने की जगह ईपीएस में जाएगा. केंद्र सरकार ने ईपीएस की शुरुआत 1995 में की थी. इसके तहत नियोक्ता कर्मचारी के 6,500 तक के मूल वेतन का 8.33 फीसदी हिस्सा (अधि‍कतम 541 रुपये प्रति महीना) पेंशन स्कीम में डालने का नियम था. लेकिन 1 सितंबर, 2014 को ईपीएफओ ने इसमें बदलाव करते हुए 15,000 तक के मूल वेतन का 8.33 फीसदी (अधिकतम 1,250 रुपये प्रति महीना) कर दिया. सरकारी नौकरी वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन और पीएफ की व्यवस्था जीपीएफ के तहत होती है.

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