फायर आर्म के बिना अगर किसी के पास कोई कारतूस मिलता है तो हथियार अधिनियम के तहत उस पर मुकदमा नहीं दिल्ली हाईकोर्ट

Nov 06, 2019

फायर आर्म के बिना अगर किसी के पास कोई कारतूस मिलता है तो हथियार अधिनियम के तहत उस पर मुकदमा नहीं दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में इस बात को दोहराया है कि अगर किसी व्यक्ति के पास से कोई कारतूस बरामद होता है लेकिन हथियार नहीं तो उस व्यक्ति पर हथियार अधिनियम के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने पास मौजूद एकल कारतूस की मौजूदगी के बारे में अनभिज्ञ है और उसके पास से कोई फायर आर्म (आग्नेयास्त्र) बरामद नहीं होता और इस तरह किसी को कोई ख़तरा नहीं था तो उस व्यक्ति को हथियार अधिनियम की धारा 45d के तहत संरक्षण मिलेगा। क्या कहती है हथियार अधिनियम की धारा 45d हथियार अधिनियम की धारा 45d के तहत कहा गया है की अगर किसी व्यक्ति के पास से किसी हथियार या गोलाबारूद का कोई गौण हिस्सा बरामद होता है और जिसकी पूरक हिस्सों के साथ प्रयोग की कोई मंशा नहीं है तो उस पर हथियार अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती। वर्तमान आवेदन सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक व्यक्ति ने दायर कर इसके तहत दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की। इस व्यक्ति के पास से दो ज़िंदा कारतूस बरामद हुए थे और उसके पास इसके लिए किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं था। पूछताछ के दौरान उस व्यक्ति ने बताया कि गलती से उसके पास ये कारतूस आ गए हैं, क्योंकि उसने अपने चाचा का पैंट पहन लिया था जिनके पास हथियार का वैध लाइसेंस है। याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में चान होंग्स सेक बनाम राज्य एवं अन्य 2012 (130) DRJ 504 मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि एकल काट्रिज बिना हथियार के एक गौण गोलाबारूद है और यह हथियार अधिनियम की धारा 45d के तहत किसी भी कार्रवाई से सुरक्षित है। हालांकि इस फैसले को एक बड़ी पीठ को सुपुर्द किया गया (धर्मेन्द्र बनाम राज्य CRL.M.C. 4493/2015) जिसमें अदालत ने कहा था कि एकल कारतूस गोलाबारूद है और यह हथियार अधिनियम, 1959 के तहत आता है। अदालत का फैसला इन दोनों ही विरोधाभासी स्थितियों की व्याख्या करते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि बड़ी पीठ चांग होंग सैक मामले में आये फैसले से सहमत नहीं थी। उसने यह कहा कि गोलाबारूद की मौजूदगी के बारे में अनभिज्ञता थी और उस व्यक्ति के पास से कोई आग्नेयास्त्र बरामद नहीं हुआ और इस वजह से वह किसी भी व्यक्ति के लिए कोई खतरा नहीं था और इसलिए यह अदालत उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त कर सही किया है।

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