सुप्रीम कोर्ट ने IAS रोहिणी सिंधुरी द्वारा IPS डी रूपा के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले पर रोक लगाई
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सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को आईएएस रोहिणी सिंधुरी द्वारा आईपीएस डी रूपा मौदगिल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि शिकायत की कार्यवाही पर रोक लगा दी। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने मानहानि का मामला रद्द करने की मांग करने वाली रूपा द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया। खंडपीठ ने कर्नाटक के दोनों अधिकारियों को किसी भी रूप में मीडिया, सोशल और प्रिंट को कोई भी इंटरव्यू या जानकारी देने से रोक दिया। कोर्ट ने उक्त आदेश इस तथ्य पर विचार करते हुए दिया कि वह पक्षकारों के बीच लंबित सभी विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रही है।
"इस बीच, इस याचिका का आपराधिक मामला आगे नहीं बढ़ेगा... इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हम पक्षकारों के बीच लंबित सभी विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं, उनमें से कोई भी पक्षकार मीडिया, सोशल और प्रिंट को किसी भी रूप में कोई इंचरव्यू या कोई जानकारी नहीं देगा।" इससे पहले, 14 दिसंबर को खंडपीठ ने मोदगिल को सिंधुरी के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट हटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद मोदगिल ने पोस्ट हटाने के संबंध में हलफनामा दायर किया। कोर्ट ने मोदगिल द्वारा दिए गए हलफनामे और अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए आपराधिक मानहानि मामले पर रोक लगाने का आदेश दिया।इससे पहले कोर्ट ने सिविल सेवकों के बीच विवाद पर निराशा व्यक्त की थी। जस्टिस ओक ने कहा था, "अगर आईएएस-आईपीएस अधिकारी इस तरह लड़ेंगे तो प्रशासन कैसे काम करेगा?" खंडपीठ ने कहा था कि वह केवल विवाद को खत्म करने के प्रयास के लिए याचिका पर विचार कर रही है। सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी और शुभ्रांशु पाधी एओआर ने डी रूपा का प्रतिनिधित्व किया। सीनियर एडवोकेट विनय नवारे और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड इलम परिदी सिंधुरी की ओर से पेश हुए।