'आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र देने में कोई काम नहीं ' : सुप्रीम कोर्ट

Jun 06, 2022
Source: https://www.jagran.com

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक नाबालिग के अपहरण और बलात्कार से संबंधित अपराधों के लिए धारा 363, 366 ए, 384, 376 (2) (एन), 384 आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 (एल) / 6 के तहत दर्ज प्राथमिकी के आरोपी की जमानत अर्जी पर विचार करते हुए आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की अवकाश पीठ ने वकील की उन दलीलों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक लड़की बालिग थी और याचिकाकर्ता और पीड़िता के बीच विवाह आर्य समाज में पहले ही हो चुका था।

आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र देने में कोई काम नहीं है। यह अधिकारियों का काम है। असली प्रमाण पत्र दिखाइए।" यह ध्यान दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसमें आर्य समाज संगठन के मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ("सभा") को विवाह संपन्न करते समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 ("एसएमए") के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने नोटिस जारी किया और साथ ही हाईकोर्ट के आदेश के संचालन पर रोक लगा दी, जहां सभा को एसएमए की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों को शामिल करते हुए, 26.08,2016 के दिशानिर्देशों में एक महीने के समय में संशोधन करने का निर्देश दिया गया था । हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर के एक 'प्रधान' द्वारा जारी प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दिए थे।

केस: सुनील लोरा बनाम राजस्थान राज्य | एसएलपी (सीआरएल) 5416/2022

 

आपकी राय !

uniform civil code से कैसे होगा बीजेपी का फायदा ?

मौसम