दिल्ली में रोज 27 लोगों की सांस की बीमारी से हो रही मौत

Nov 08, 2019

दिल्ली में रोज 27 लोगों की सांस की बीमारी से हो रही मौत

नई दिल्ली : राजधानी में सांस की बीमारियों से प्रतिदिन 27 लोगों की मौत हो रही है। दिल्ली में स्वास्थ्य की स्थिति पर प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सांस की बीमारियों और उसके कारण होने वाली मौत का बड़ा कारण प्रदूषण बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में श्वसन तंत्र से संबंधित कैंसर से 551 व सांस की अन्य बीमारियों से पीड़ित 9321 मरीजों की मौत हुई थी। फाउंडेशन ने यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से प्रदूषण से संबंधित चार साल के आंकड़े जुटाए थे। जिसमें कहा गया है कि चार साल में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेंगू की रोकथाम में कामयाबी मिली है लेकिन वर्ष 2018-19 में डायरिया से पांच लाख 14 हजार 52 लाख लोग व टाइफाइड से 51,266 लोग पीड़ित हुए। इसका कारण पेयजल दूषित होना बताया गया है। वर्ष 2018 में लोगों ने दूषित जल की 36,426 शिकायतें कीं। यहां केवल छह फीसद लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है। गत वित्त वर्ष में पार्षदों ने स्वास्थ्य से जुड़े 1252 मामले व विधायकों ने 264 मामले उठाए। नगर निगम की डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों की 21 फीसद व दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरियों में 34 फीसद कमी है। एक तरह से स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण भी लोगों बीमारी ठीक नहीं होती है।

सीओपीडी के 53.7 फीसद मरीजों में बीमारी का कारण बन रहा प्रदूषण

प्रदूषण के दुष्प्रभाव से सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले तीन दशक में सांस की बीमारी सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित मरीजों की संख्या देश में करीब दोगुनी हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण बन रहा है। इसके अलावा अस्थमा की बीमारी भी बढ़ी है। यह बात जेसीएस इंस्टीट्यूट- पल्मोनरी क्रिटिकल केयर अस्पताल के चेयरमैन डॉ. जेसी सूरी ने कही।

अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लांसेट में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में जितने लोग सांस की क्रोनिक (पुरानी बीमारी) से पीड़ित होते हैं, उनमें 32 फीसद भारत में हैं। अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1990 में सीओपीडी से करीब 2.81 करोड़ लोग पीड़ित हुए थे। वर्ष 2016 में मरीजों की संख्या बढ़कर 5.53 करोड़ हो गई। वहीं, अस्थमा के मरीजों की संख्या 2.29 करोड़ से बढ़कर 3.79 करोड़ हो गई। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 4.2 फीसद लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। वहीं, 2.9 फीसद लोग अस्थमा से पीड़ित हैं।

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