डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला किया तो होगा सात साल का कारावास

Apr 23, 2020

डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला किया तो होगा सात साल का कारावास

सरकार लाई अध्यादेश, 123 साल पुराने महामारी बीमारी अधिनियम में संशोधन डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों को केंद्र सरकार ने गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। आरोपितों को पांच लाख रुपये तक जुर्माना और सात साल तक की सजा हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून, 1897 में इन संशोधनों के लिए अध्यादेश को हरी झंडी दे दी गई। बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोच्वद से भी इसे मंजूरी मिल गई।

हमलों से स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल प्रभावित होता था। इसलिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने सांकेतिक विरोध का आह्वान किया था। बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से आइएमए व स्वास्थ्यकर्मियों के अन्य संगठनों से बात की। शाह ने उन्हें बताया कि सरकार स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। इस आश्वासन के बाद आइएमए ने 22 व 23 अप्रैल को प्रस्तावित सांकेतिक विरोध वापस ले लिया। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कैबिनेट बैठक में नए अध्यादेश को हरी झंडी मिलने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और आरोग्यकर्मियों पर हमले बर्दाश्त नहीं होंगे। गृह मंत्रलय ने पत्र लिखकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा देने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्रलय ने भी राज्यों को इसी तरह का परामर्श जारी किया है।

जावडेकर ने बताया कि 1897 में बने महामारी बीमारी कानून में संशोधन के बाद इस कानून के तहत आने वाले अपराध संट्ठोय और गैर-जमानती हो जाएंगे। यानी थाने से जमानत नहीं मिल सकेगी। ऐसे मामले की जांच वरिष्ठ इंस्पेक्टर के स्तर पर 30 दिन में पूरी करने व एक साल में सुनवाई पूरी कर फैसला देने का प्रावधान किया गया है। पहली बार इस कानून में राष्ट्रीय स्तर पर एक समान सजा का प्रावधान किया गया है। अपराध साबित होने पर तीन माह से पांच साल तक सजा हो सकती है। साथ ही 50 हजार से दो लाख तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यदि हमले में स्वास्थ्यकर्मी गंभीर घायल हुआ तो सजा बढ़ जाएगी। ऐसे में छह महीने से सात साल तक सजा और एक से पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

स्वास्थ्यकर्मियों के मकान मालिक व पड़ोसियों पर भी लागू: यह अध्यादेश डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के उन मकान मालिकों और पड़ोसियों पर भी लागू होगा जो कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका से उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने महामारी अधिनियम को समवर्ती अधिनियम भी बना दिया है।

पुराने कानून में नहीं सजा का कोई प्रावधान: महामारी बीमारी कानून, 1897 में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ च्हसक वारदातों के लिए सजा का स्पष्ट प्रावधान नहीं है। कानून की धारा-तीन में सिर्फ ह्यजुर्मानाह्ण शब्द का जिक्र है। उसमें भी यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस कानून के तहत जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करता है तो इसे अपराध माना जाएगा। लेकिन सजा भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत दी जाती है। यह धारा किसी सरकारी अधिकारी को ड्यूटी करने से रोकने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करती है। लेकिन जमानती अपराध होने के कारण आरोपित जेल जाने से बच जाता है। आरोप साबित होने पर अधिकतम एक महीने की सजा और दो सौ रुपये का जुर्माना हो सकता है। जानलेवा हमले की स्थिति में अधिकतम छह महीने की सजा अथवा एक हजार रुपये जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।


* 50 हजार से लेकर पांच लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान

* एक महीने के अंदर पूरी होगी जांच, एक साल में मिलेगी सजा

* केंद्रीय गृह मंत्री के आश्वासन पर आइएमए ने विरोध वापस लिया

राष्ट्रपति ने दी मंजूरी कैबिनेट की बैठक के बाद जानकारी देते केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर एएनआइ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली जाएगी दोगुनी राशि स्वास्थ्यकर्मी की संपत्ति के नुकसान की भरपाई आरोपित से करने का प्रावधान भी किया गया है। यदि डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी के क्लीनिक या वाहन को नुकसान पहुंचाया तो बाजार मूल्य की दोगुनी राशि हमला करने वालों से वसूली जाएगी। स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता। महामारी बीमारी (संशोधन) अध्यादेश, 2020 अग्रिम पंक्ति में रहकर कोविड-19 से बहादुरी से लड़ रहे प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी की सुरक्षा करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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