सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए हाईकोर्ट में 2 साल का अनुभव ज़रूरी हो, BCI ने दिया प्रस्ताव
हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए ट्रायल कोर्ट का अनुभव आवश्यक हो, सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए हाईकोर्ट में 2 साल का अनुभव ज़रूरी हो, BCI ने दिया प्रस्ताव
बार काउंसिल ऑफ इंडिया "कानूनी पेशे के साथ-साथ कानूनी शिक्षा की बेहतरी" के लिए बड़े सुधार वाले बदलाव ला रहा है। बार काउंसिल ने विधि व्यवसाय को और बेहतर करने के लिए कुछ प्रस्ताव रखे हैं। उच्च न्यायालयों में प्रैक्टिस के लिए ट्रायल कोर्ट का अनुभव आवश्यक हो यदि बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रस्ताव लागू होता है, तो बार में आने वाले नए वकीलों को उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रैक्टिस करने में सक्षम होने के लिए दो साल के लिए जिला / तालुका अदालत में अनिवार्य रूप से प्रैक्टिस करनी होगी। बीसीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि, "कोई भी अधिवक्ता प्रमाण पत्र ( बीसीआई द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार किसी ऐसे वकील द्वारा प्रदान किया जाए जो बार और संबंधित जिला न्यायाधीश के समक्ष न्यूनतम 15 वर्ष की प्रैक्क्टिस का अनुभव रखता हो ) के पेश करने के बाद ही उच्च न्यायालय में प्रैक्क्टि करने में सक्षम होगा। हाईकोर्ट की कोई बार एसोसिएशन किसी भी अधिवक्ता को सदस्यता प्रदान नहीं कर सकती, जब तक कि अन्य सहायक सामग्री के साथ अनुभव प्रमाण पत्र पेश नहीं किया जाता।" इसी तर्ज पर, सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष कम से कम दो वर्ष की प्रैक्टिस का अनुभव होना अनिवार्य होगा। परिषद यह भी विचार कर रही है कि क्या वकीलों को अनुभव प्रमाण पत्र देने से पहले अदालतों में न्यूनतम संख्या में उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए। बीसीआई ने सीजेआई एस ए बोबडे के स्वागत समारोह के एक दिन बाद कहा, वकीलों के प्रशिक्षण और कानूनी पेशे और शिक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा।
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