आरटीआइ को अर्थहीन बनाने में तुले अधिकारी हाई कोर्ट
आरटीआइ को अर्थहीन बनाने में तुले अधिकारी हाई कोर्ट
तय समय पर जानकारी न देने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
विधि संवाददाता, प्रयागराज जनसूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत जानकारी देने में विलंब होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को मांगी गई सूचना यथाशीघ्र देने का उपबंध करता है। इसका उद्देश्य लोगों को मांगी गई जानकारी समय के भीतर उपलब्ध कराना है। कानून के तहत सूचनाएं देने की हर स्तर पर समयावधि तय की गयी है। लेकिन, जिन अधिकारियों पर इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है वह जानबूझकर अर्जियां महीनों तक लटकाए रखते हैं। वह इस कानून के उद्देश्य को अर्थहीन करने पर तुले हुए हैं। ऐसा लगता है कि अधिकारी अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे। कोर्ट ने अपीलीय अधिकारी को याची की सात जून 2019 से विचाराधीन जनसूचना अधिकार कानून के तहत लंबित अपील एक माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने प्रयागराज के मुकुल अग्रवाल की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता घनश्याम मौर्य का कहना है कि याची ने सूचना अधिकार कानून के तहत सूचनाएं मांगी। सूचना न मिलने पर सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल की। जो जून 2019 से विचाराधीन है। याची को मांगी गई सूचनाएं नहीं दी जा रही है।
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