वुहान में रह रहे भारतीयों ने जताई महामारी लौटने की आशंका

Apr 29, 2020

वुहान में रह रहे भारतीयों ने जताई महामारी लौटने की आशंका

चीन के वुहान शहर में अब भी कई भारतीय रह रहे हैं। ये लोग 76 दिन के सख्त लॉकडाउन के बाद अपने काम पर लौट आए हैं, लेकिन शहर में दूसरे दौर की महामारी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि वुहान में बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों के बढ़ने से महामारी फिर लौट सकती है।

मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान से ही पूरे चीन समेत दुनिया में यह खतरनाक वायरस फैला था। महामारी की रोकथाम के प्रयास में वुहान समेत पूरे हुबेई में गत 23 जनवरी को लॉकडाउन कर दिया गया था। 1.1 करोड़ की आबादी वाले वुहान में ही वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनच्फग के बीच पहला शिखर सम्मेलन हुआ था। यह शहर अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का केंद्र होने के साथ ही इंडस्टियल हब भी है। इस शहर में चीन के कुछ प्रसिद्ध अनुसंधान केंद्र भी हैं। इसलिए भारतीय समेत विदेशी छात्र वुहान की ओर आकर्षित होते हैं। महामारी शुरू होने पर फरवरी में भारत सरकार ने वुहान से 600 से ज्यादा भारतीय छात्रों को निकाला था। लेकिन कई भारतीय अपने निजी कारणों से शहर में ही रुके रह गए।भारतीय शोधकर्ता ने कहा, वुहान में आठ अप्रैल को लॉकडाउन खत्म कर दिया गया। बहुत लोग बाहर निकलने का जोखिम उठा रहे हैं, लेकिन वे जरूरी चीजों की खरीद के लिए ही निकल रहे हैं।

कोरोना महामारी का केंद्र रहे वुहान शहर में सभी मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद चीन की राजधानी बीजिंग में भी कोई रोगी नहीं रह गया है। बीजिंग में सभी मरीजों के कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद बुधवार से विशेष अस्पताल को बंद कर दिया जाएगा। महामारी से निपटने के लिए इस अस्थायी अस्पताल को गत 16 मार्च को खोला गया था। वुहान में बीते रविवार को कोरोना के अंतिम रोगी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। इस शहर में रोगियों के इलाज के लिए बनाए गए 16 अस्थायी अस्पतालों को भी बंद कर दिया गया है। वुहान की तरह ही राजधानी बीजिंग के उपनगरीय इलाके जियाओतांगशान में भी एक अस्थायी अस्पताल बनाया गया था। इस अस्पताल में भर्ती कराए गए सभी मरीज भी कोरोना से उबर गए हैं। इन सभी को मंगलवार को छुट्टी दे गई।

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