अब सूती मास्क बनाने में जुटे केंद्रीय जेल के कैदी

Mar 21, 2020

अब सूती मास्क बनाने में जुटे केंद्रीय जेल के कैदी

वायरस की रोकथाम में कारगर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जबलपुर डॉ. मनीष मिश्र ने बताया कि कोरोना वायरस 400 माइक्रॉन का है, जो कि आम वायरस के मुकाबले काफी बड़ा है। कॉटन का थ्री लेयर मास्क इस वायरस के संक्रमण से बचाव करने में कारगर साबित हुआ है। कॉटन के कपड़े से निर्मित थ्री लेयर मास्क को कोरोना का वायरस क्रॉस नहीं कर सकता। किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर यदि वायरस पहली और दूसरी लेयर को क्रॉस कर भी लेता है तो तीसरी लेयर को क्रॉस नहीं कर पाएगा। कोरोना का वायरस भारी होने के कारण जल्द ही जमीन पर गिर पड़ता है। कॉटन के थ्री लेयर मास्क को मप्र सरकार को भेजा गया था। विशेषज्ञों से राय लेने के उपरांत शासन ने इसे कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम में उपयोगी पाया है। रामकृष्ण परमहंस पाण्डेय जबलपुर केंद्रीय कारागार, जबलपुर में सूती मास्क बनाए जा रहे हैं ताकि आमजन को मास्क की किल्लत से बचाया जा सके। सूती कपड़े की तिहरी परत वाले इन मास्क को मप्र सरकार ने संक्रमण के फैलाव को रोकने में कारगर बताया है। जबलपुर में शुरू हुए इस प्रयोग के बाद देशभर से ऑर्डर मिलने पर अब मध्यप्रदेश की अन्य जेलों में भी सूती मास्क का उत्पादन शुरू किया जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिकी सरकार आदि हालही यह एडवाइजरी जारी कर चुके हैं कि स्वस्थ्य व्यक्ति को मास्क लगाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि संक्रमण से बचाव के लिए मास्क पर्याप्त नहीं है। हां, फैलाव को रोकने में यह सहायक हो सकता है। खांसने-छींकने वाला कोई संदिग्ध यदि मास्क पहने हुए हो तो वह दूसरों को संक्रमण से बचा सकता है। केंद्र सरकार भी स्पष्ट कर चुकी है कि केवल उन लोगों को मास्क पहनना चाहिए, जो संक्रमित हैं अथवा संदिग्ध हैं अथवा उपचार कार्य में रत हैं। बहरहाल, ऐहतियातन देशभर में मास्क की जबर्दस्त मांग है। 5 रुपये की लागत वाला साधारण मास्क 25 रुपये में मिल रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार ने सूती मास्क का उत्पादन शुरू किया है। उसका कहना है कि सूती मास्क फैलाव को रोकने में सहायक साबित होंगे। जबलपुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल की बात करें तो यहां सुबह से लेकर रात तक कैदी मास्क बनाने में बड़ी लगन से जुटे हुए हैं। उनमें एक ही धुन सवार है कि वे कोरोना वायरस से बचने के लिए ज्यादा मास्क कैसे बनाएं? उनकी कड़ी मेहनत में प्रायश्चित का भाव है। जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मनीष मिश्र की सलाह पर सूती कपड़े से निर्मित मास्क के उत्पादन का विचार राज्य सरकार को भेजा गया। मिश्र ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम में सूती मास्क उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसके बाद बंदियों को मास्क बनाने का निर्देश दे दिया गया। जेल के अंदर 100 हैंडलूम और 10 पावरलूम लगे हैं। मास्क बनाने को जेल में लगीं 40 सिलाई मशीनों में इलेक्टिक मोटर लगाई जा रही है। सूती कपड़े की तिहरी परत वाले मास्क को मप्र सरकार ने बताया कारगर केरल, मुंबई, नासिक के अलावा देश के कई शहरों से मास्क का ऑर्डर मिला है। केरल सरकार ने संपर्क किया है। रोजाना 3 हजार मास्क बनाने की तैयारी है। हम जल्द ही अधिक से अधिक मास्क बना सकेंगे। जीपी ताम्रकार, जेल अधीक्षक रोजाना दो हजार मास्क तैयार होते हैं यहां प्रतिदिन औसतन दो हजार मास्क तैयार किए जा रहे हैं। एक मास्क की लागत 6.70 रुपये पड़ती है, जिसे 7 रुपये में बेचा जा रहा है। फिलहाल 70 हजार मास्क का ऑर्डर है। जबलपुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय कारागार में सूती मास्क बनाते कैदीह्ण नईदुनिया जबलपुर स्थित केंद्रीय कारागार में सैकड़ों कैदी प्रतिदिन तैयार कर रहे मास्क देशभर से मांग, मिल रहे ऑर्डर, मध्यप्रदेश की अन्य जेलों में भी शुरू हुआ उत्पादन|

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