रेरा ने लौटाया रियल एस्टेट में भरोसा 42 हजार परियोजनाओं का पंजीयन
रेरा ने लौटाया रियल एस्टेट में भरोसा 42 हजार परियोजनाओं का पंजीयन
दो वर्ष पहले केंद्र सरकार ने जब रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून 2016 (रेरा) को लागू करवाने का फैसला किया तब देश के रियल एस्टेट उद्योग के लिए वह बेहद संक्रमण काल था। एक के बाद एक रियल एस्टेट कंपनियों की परियोजनाएं लटकती जा ही थीं और ग्राहकों व निवेशकों के साथ आए दिन धोखाधड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। लेकिन दो वर्षों में रेरा ने सिर्फ रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा वापस करने में मदद किया है और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस सेक्टर को एक बार फिर गतिमान बना दिया है। वैसे, अभी रेरा की राह में कई सारी बाधाएं हैं लेकिन रियल एस्टेट क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून देश के हर नागरिक को आवास दिलाने की सरकार के लक्ष्य के लिए जरूरी हो गया है। रेरा कानून के तहत देश में पहली बार समूचे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून बनाने का काम हुआ है। अभी तक देश के 22 राज्यों ने इसे लागू कर दिया है और इसके तहत रियल एस्टेट सेक्टर की 42 हजार परियोजनाओं का पंजीयन किया गया है।
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रेरा के तहत गठित नियामक एजेंसी के समक्ष अभी तक 5,000 के करीब शिकायतें भी पहुंची हैं और इसने 3,100 मामलों में आदेश भी दिए हैं। इसमें से 71 फीसद आदेश खरीदारों के पक्ष में हुआ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि अब इस उद्योग में निवेशकों का भरोसा फिर से लौटने लगा है। रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों के संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष जक्षय शाह का कहना है कि रेरा ने सिर्फ भारतीय रियल एस्टेट कंपनियों के काम करने का तरीका नहीं बदला है बल्कि इसके बारे में लोगों की सोच भी बदल दी है। दो वर्ष में ही इसने देश में रियल एस्टेट उद्योग के लिए एक मजबूत नींव डाल दी है।
रियल एस्टेट क्षेत्र की सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर गुलाम जिया बताते हैं कि रेरा ने समूच रियल एस्टेट उद्योग में सबसे बड़ा बदलाव यह लाया है कि अब कंपनियां जिस उद्देश्य से पैसा लेती हैं उसी में इसका इस्तेमाल करती हैं। ग्राहकों से जुटाई गई राशि का 75 फीसद हिस्सा एक ही फंड में रखने की व्यवस्था है और इसका इस्तेमाल जिस परियोजना के लिए लिया गया है उसी में होता है। दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि ग्राहकों की समस्याओं का समाधान अब कोर्ट में नहीं होता बल्कि रेरा के तहत ही नियामक एजेंसी शीघ्रता से करती है। नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) की वाइस प्रेसिडेंट अंजु याज्ञनिक मानती हैं कि समूचना उद्योग जिस तरह से चल रहा था, रेरा की वजह से उसमें बदलाव आ गया है। इसने जिस तरह से ग्राहकों के हितों की रक्षा की है और उनकी हर समस्या का समाधान निकालने की व्यवस्था की है उससे निवेशको का भरोसा फिर सेबहाल हो गया है। इसने कंपनियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया हैं। यह देश में हर व्यक्ति को आवास दिलाने और स्मार्ट शहर की योजनाओं के लिए भी जरूरी है।
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कई राज्यों में अभी भी लागू नहीं
रेरा कानून के तहत केंद्रीय स्तर और राज्यों के स्तर पर नियामक एजेंसी गठित करने की व्यवस्था है। वैसे अभी तक पश्चिम बंगाल, केरल जैसे पांच राज्यों ने इसे लागू नहीं किया है। लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे बेहद कुशलता से लागू किया जा रहा है। वैसे कई राज्यों में अभी रेरा के तहत जो व्यवस्थाएं करनी हैं वह नहीं हो पाई है लेकिन माना जा रहा है कि यह इस वर्ष के अंत तक हो जाएगा। मसलन, हर राज्य को अपनी आनलाइन साइट बनानी है जिसमें हर तरह की रीयल एस्टेट परियोजना के बारे में जानकारी देना होगा। अभी 11 राज्यों में ऐसा नहीं हो पाया है।
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