सुप्रीम कोर्ट ने देसी गाय की प्रजातियों के सरंक्षण वाली याचिका पर केंद्र व राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

Jul 23, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने देसी गाय की प्रजातियों के सरंक्षण वाली याचिका पर केंद्र व राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें "गंभीर रूप से लुप्तप्राय गाय की प्रजातियों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने और तुरंत प्रभाव से देश के किसी भी हिस्से में उनके वध पर" रोक लगाने की मांग की गई है। NGT के फैसले के खिलाफ अपील जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की पीठ ने आंध्र प्रदेश के 83 वर्षीय एक किसान माथला चंद्रपति राव द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले के खिलाफ अपील पर नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने 14 अगस्त, 2018 को कोई विशेष दिशानिर्देश जारी किए बिना अर्जी का निपटारा कर दिया था। हालांकि NGT ने उन दलीलों के बाद मामले का निपटारा किया था जिसमें केंद्र और राज्यों ने यह भरोसा दिलाया था कि अवैध गोहत्या को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता की मांगें हालांकि संतुष्ट न होने वाले याचिकाकर्ता ने अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह आग्रह किया है कि वह गाय प्रजनन सुनिश्चित करें और ये केवल स्वदेशी स्वस्थ मवेशियों के साथ किया जाना चाहिए।

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देसी मवेशियों के दूध की पैदावार और डेयरी और कृषि कार्यों में उनकी दक्षता में सुधार के लिए रिसर्च आदि किए जाएं। इसके अलावा किसानों के लिए अधिकतम स्वीकार्य प्रोत्साहन सहायता दी जाए और देसी गाय को संतान प्राप्त करने और उसे बनाए रखने के लिए केंद्र को राष्ट्रीय आयोग की वर्ष 2002 की सिफारिशों को स्वीकार करने और जल्द से जल्द इसे लागू करने के निर्देश दिए जाएं। "NGT रहा है बूचड़खानों को रोकने में असफल" याचिकाकर्ता के अनुसार NGT , देश में चल रहे 1,00,000 से अधिक अनधिकृत बूचड़खानों को रोकने के निर्देश देने में विफल रहा है। याचिका में विदेशी बैल और सांड के आयात को प्रतिबंधित करने का अनुरोध भी किया गया है। याचिकाकर्ता ने यह प्रस्तुत किया कि अपनी वर्ष 2002 की रिपोर्ट में मवेशियों के लिए बने राष्ट्रीय आयोग के तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस गुमन लाल लोढ़ा ने दुधारू गायों और बछड़ों के वध पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।

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