अभियुक्त आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत वैध लाइसेंस धारक हो, तभी दी जा सकती है अधिनियम की धारा 7 के तहत सजा बॉम्बे हाईकोर्ट
अभियुक्त आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत वैध लाइसेंस धारक हो, तभी दी जा सकती है अधिनियम की धारा 7 के तहत सजा बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले ही दिनों उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत एक 23 साल पुराने मामले में एक जयेंद्र तलरेजा को दोषी ठहराया गया था। इस मामले में पुलिस ने उसकी दुकान की तलाशी ली थी, जिसमें उसके पास नकली गैस रैगुलेटर पाए गए थे। इसी के परिणामस्वरूप आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 7 रिड विद धारा 3 के तहत उसे दोषी करार दिया गया था। इस मामले में उस पर द्रवित पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 1988 के क्लाज के उपखंड (3) के उल्लंघन का मामला बनाया गया था। 4 नवंबर, 1997 को दिए गए फैसले में 37 वर्षीय तलरेजा को तीन माह की कैद व पांच सौ रुपये जुर्माने की सजा दी गई थी। जस्टिस एस.एस जाधव ने तलरेजा की अपील पर सुनवाई की और कहा कि चूंकि अपीलकर्ता आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत वैध लाइसेंस धारक नहीं था, इसलिए उसे इसके तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता था। इसके अलावा, अदालत ने यह भी माना कि द्रवित पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश के तहत, राज्य सरकार द्वारा अधिकृत या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित एक अधिकारी जो कम से कम इंस्पेक्टर रैंक का होना चाहिए या तेल कंपनी का अधिकारी जो कम से कम बिक्री अधिकारी रैंक का अधिकारी होना चाहिए,वहीं तलाशी और जब्ती का संचालन कर सकता है या तलाशी ले सकता है। केस की पृष्ठभूमि शिकायतकर्ता अधिकारी के अनुसार, 19 अप्रैल, 1996 को लक्ष्मीपुर पुलिस स्टेशन, कोल्हापुर को एक ''गुप्त सूचना'' मिली थी कि उस क्षेत्र के कुछ दुकानदार फर्जी/डुप्लिकेट गैस रैगुलेटर बेच रहे हैं। इसके बाद, पुलिस ने गीता जनरल स्टोर्स का दौरा किया। अपीलकर्ता इस दुकान में मौजूद था। अपीलकर्ता को सूचित किया गया और पंचों की उपस्थिति में दुकान की तलाशी ली गई और पुलिस ने 6 नकली गैस रैगुलेटर को जब्त कर लिया था। हेड कांस्टेबल भीकाजी गोखले ने अपीलकर्ता के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 रिड विद धारा 7 के तहत दंडनीय अपराध में रिपोर्ट दर्ज की थी।
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