शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर किए गए एक ही वार से हुई मौत भी IPC की धारा 302 के दायरे में, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया निर्णय पढ़े
शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर किए गए एक ही वार से हुई मौत भी IPC की धारा 302 के दायरे में, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया निर्णय पढ़े
सुप्रीम कोर्ट ने यह दोहराया है कि एक ही वार में हुई मौत के मामले में भी, जो शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर किया गया हो, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मामला हो सकता है। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति ए. एस बोपन्ना की पीठ उच्च न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की सजा को आईपीसी की धारा 302/149 से धारा 304 भाग कक में बदलने के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी। पीठ ने कहा कि आरोपी रामअवतार की वजह से लगी चोट शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से यानी सिर पर लगी थी और ये उसके लिए जानलेवा साबित हुई। पीठ ने कहा: "केवल इसलिए कि आरोपी रामअवतार ने फरसे के कुंद हिस्से से चोट पहुंचाई, उच्च न्यायालय द्वारा आईपीसी की धारा 304 भाग कक में सजा को बदलने का फैसला न्यायसंगत नहीं है। जैसा कि इस न्यायालय ने अपने तमाम फैसलों में कहा है कि शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर एक ही वार करने पर आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला बन सकता है और आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध के लिए अभियुक्त को दोषी ठहराया जा सकता है।" इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि यह एक स्वतंत्र लड़ाई (free फाइट) थी, पीठ ने कहा कि आरोपी को आईपीसी की धारा 304 भाग क के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए था। इसके बाद पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया और आईपीसी की धारा 302 से आईपीसी की धारा 304 भाग 1 में सजा को बदल दिया। इसके साथ ही दोषी को 8 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और उसपर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया।
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