आर्थिक सुस्ती का असर सरकारी खजाने पर! बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा
आर्थिक सुस्ती का असर सरकारी खजाने पर! बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा
जोखिम से बचाव समेत विभिन्न मुद्दों पर परामर्श देने वाली कंपनी फिच सॉल्यूशंस ने भारत के राजकोषीय घाटे को लेकर अपने अनुमान को बुधवार को बढ़ा दिया है. फिच सॉल्यूशंस का कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.6 फीसदी पर रह सकता है. पहले राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया था. इसका मतलब यह हुआ कि फिच ने राजकोषीय घाटे का अनुमान 0.2 फीसदी बढ़ा दिया है. अगर फिच का अनुमान हकीकत में बदल जाता है तो सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा. बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते 5 जुलाई को अपने आम बजट में राजकोषीय घाटे को 3.3 फीसदी पर नियंत्रित रखने का अनुमान लगाया था.
फिच ने बताया कि सुस्त आर्थिक वृद्धि के अलावा जीएसटी कलेक्शन और कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती से राजस्व संग्रह को नुकसान होने की आशंका है. यही वजह है कि राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया गया है. फिच ने कहा , "हमारा मानना है कि राजकोषीय खर्च में कटौती नहीं करने की मंशा के बीच सुस्त आर्थिक वृद्धि और सरकार के कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती से राजस्व संग्रह कम रहेगा. इस वजह से हमने राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया है."
बता दें कि सरकार ने बीते 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया है. इस कदम से 2019-20 के दौरान सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की हानि होने का अनुमान है.वहीं जीएसटी कलेक्शन में भी कमी आई है और यह सरकार के लक्ष्य से नीचे चल रहा है.
राजस्व वृद्धि के अनुमान में भी बदलाव
इसके साथ ही फिच ने कहा, " हम राजस्व वृद्धि के अपने अनुमान को भी संशोधित करके 13.1 फीसदी से 8.3 फीसदी कर रहे हैं. यह सरकार के 13.2 फीसदी वृद्धि के बजट अनुमान से काफी कम है.’’
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