नोटों से बना हुआ है भारतीयों का प्यार, परवान नहीं चढ़ पा रहा डिजिटल पेमेंट
नोटों से बना हुआ है भारतीयों का प्यार, परवान नहीं चढ़ पा रहा डिजिटल पेमेंट
करीब दो साल पहले मोदी सरकार द्वारा देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के अभियान के बावजूद ऐसा लगता है कि भारतीयों का करेंसी नोट से प्यार कम नहीं होने वाला है. सच तो यह है कि डिजिटल पेमेंट में अपेक्षित बढ़त नहीं हो रही और करेंसी सर्कुलेशन में 17 फीसदी की बढ़त हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक (फइक) की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में करेंसी सर्कुलेशन 17 फीसदी बढ़कर 21.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. करेंसी सर्कुलेशन का करीब 51 फीसदी हिस्सा 500 रुपये के नोटों का है. डिजिटल ट्रांजेक्शन पर बैंकों और वित्त मंत्रालय के बीच तनातनी भी होती रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की थी कि वह मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को हटा देंगी. लेकिन पेमेंट इंडस्ट्री का मानना है कि एमडीआर हटाने से सरकार को जीएसटी पर करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
मर्चेंट डिस्काउंट रेट असल में किसी दुकानदार द्वारा बैंकों को दिया जाने वाला 2 फीसदी कमीशन होता है, जो बैंक डेबिट/क्रेडिट कार्ड से पेंमेंट स्वीकार करने वाले पीओएस मशीन के द्वारा पेमेंट पर लेते हैं. इस चार्ज को डिजिटल पेमेंट बढ़ाने में एक बड़ा व्यवधान माना जा रहा है और इसको हटाने को ग्राहकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है जिससे ग्राहक डिजिटल पेमेंट की तरफ जाएंगे.
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आईआईटी बॉम्बे की एक स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि सरचार्ज और ऊंचा एमडीआर चार्ज डिजिटल पेमेंट बढ़ाने में बड़ी बाधा है. वित्त मंत्रालय का व्यय, राजस्व, वित्तीय सेवाएं, निवेश, सार्वनिक खर्च और आर्थिक मामलों के विभाग इसका रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, सरकार द्वारा अभी तक इसके लिए कोई निश्चित समय-सीमा तय नहीं की गई है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि इस मसले पर हाल में पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग से चर्चा हुई थी और अब नए वित्त सचिव राजीव कुमार से इस पर बात शुरू हो गई है.
गौरतलब है कि नए डिजायन किए गए 500 रुपये के नोटों की जालसाजी में वित्त वर्ष 2018-19 में पिछले साल की तुलना में 121 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि इस अवधि में 2,000 रुपये के नोटों की जालसाजी में 21.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अगस्त 2017 में लांच किए गए 200 रुपये के नोटों के कुल 12,728 जाली नोट पकड़े गए, जबकि एक साल पहले यह संख्या 79 थी.
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