पूर्वन्याय का सिद्धांत श्रम/औद्योगिक मामलों पर भी लागू होगा : सुप्रीम कोर्ट
पूर्वन्याय का सिद्धांत श्रम/औद्योगिक मामलों पर भी लागू होगा : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि CPC की धारा 11 में जिस पूर्वन्याय के सिद्धांत को परिभाषित किया गया है वह श्रम/औद्योगिक कार्रवाई पर भी लागू होगा। वर्ष 2004 में केरल सरकार ने श्रम अदालत से पूछा था कि क्या FACT, लिमिटेड उदयोगमंडल का 1978 के पूर्व के कर्मचारियों के रिटायर होने की उम्र को 60 वर्ष से घटाकर 58 कर देना न्यायपूर्ण है या नहीं? इस संदर्भ का उत्तर देते हुए श्रम अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए फ़ैसलों में इस मुद्दे को पहले ही तय कियाजा चुका है और इस बारे में विशेष अनुमति याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज किए जाने के बाद यह निर्णय अब अंतिम है और इसलिए अब यह पूर्वन्याय के सिद्धांत के तहत आता है। हाईकोर्ट ने मज़दूर संगठनों की अपील पर कहा कि राज्य सरकार ने श्रम अदालत से जो पूछा था तो पूर्वन्याय के सिद्धांत के अनुरूप इस पर रोक नहीं है।
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एकल पीठ ने सभी कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन का 30% हिस्सा मुआवज़ा के रूप में देने का फ़ैसला सुनाया। यह राशि उनको नौकरी पर दुबारा नहीं रखने के लिए दिया गया मुआवज़ा था। खंडपीठ ने इस फ़ैसले को सही ठहराया था। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के तीन पुराने फ़ैसलों को उद्धृत किया जिससे स्पष्ट होता है कि पूर्वन्याय का सिद्धांत श्रम प्रक्रिया पर लागू होता है कि नहीं यह अब ऐसा मुद्दा नहीं है जिसके बारे में निर्णय नहीं आया है। आरसी तिवारी बनाम एमपी राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड पांडिचेरी खादी एंड विलिज इंडस्ट्रीज बोर्ड बना पी कूलोथंगन & अन्य इग्ज़ेक्युटिव इंजीनियर, ज़ेडपी इंजीनियरिंग डिविज़न & अन्य बनाम दिगम्बर राव & अन्य कोर्ट ने कहा कि राज्य के पास यह अधिकार नहीं है कि आईडी अधिनियम की धारा 10 के तहत इस मामले को श्रम अदालत के पास भेजने का अधिकार राज्य के पास नहीं है। इसलिए अदालत ने इस अपील को स्वीकार कर लिया।
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