इ एस आई विभाग डिजिटल इण्डिया के उलट मैन्युअल इण्डिया की तरफ बढ़ रहा है

Dec 12, 2019

इ एस आई विभाग डिजिटल इण्डिया के उलट मैन्युअल इण्डिया की तरफ बढ़ रहा है

इ एस आई एक सोशल सिक्योरिटी सर्विस है और इसके अन्तर्गत श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों को एवं उनके परिवार को चिकित्सा व अन्य स्वास्थ्य सुविधाएँ देना विभाग की जिम्मेवारी है। लेकिन अब विभाग अपनी इस जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है। एक तरफ जहाँ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डिजिटल इण्डिया की बात कर रहे हैं,वहीँ यह विभाग डिजिटल इण्डिया के उलट मैन्युअल इण्डिया की तरफ बढ़ रहा है।

नरेन्द्र मोदी चाहते हैं की उद्योगों को डिजिटल इण्डिया का लाभ मिले और उनको विभाग के चक्कर न काटने पड़ें। वे चाहते हैं की सभी कार्य ऑनलाइन हों और उद्योगपतियों को इंस्पेक्टर राज से मुक्ति मिले। लेकिन इसके उलट इ एस आई विभाग ऐसे ऐसे नियम ला रहा हैं की कैसे मोदी जी को फेल किया जा सकें तथा उनके सपनों पर पानी फेरा जा सके।

इ एस आई विभाग ने नियुक्ति के दस दिन के बाद कर्मचारियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी। हालाँकि यह कोई नया कानून नहीं है। इ एस आई एक्ट में पहले से यह प्रावधान था और अभी तक ऑनलाइन इसको लागू नहीं किया गया था। लेकिन पहले जब यह नियम लागू था। तब भी यदि किसी कर्मचारी का किसी कारण से रजिस्ट्रेशन समय पर नहीं हो पाता था तो उससे " no accident till date " लिखवा कर उसका रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता था और उसका अंशदान जमा कर लिया जाता था।

लेकिन अब काफी मशक्कत के बाद विभाग ने अपनी गलती मानते हुए संशोधित नियम का पत्र जारी तो कर दिया है लेकिन उसमे शर्त लगा दी है कि यदि किसी को रजिस्ट्रेशन करवाना है तो उसे पुनः मैन्युअल फॉर्म -1 भरकर ऑनलाइन जमा करना होगा। जबकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के वक्त पहले से फॉर्म -1 की सारी डिटेल्स भरी जा चुकी होती हैं। फिर उस कम्पनी में एक इंस्पेक्टर जायेगा इंस्पेक्शन करने के लिए। फिर यदि वह सन्तुष्ट होगा तभी उस कर्मचारी कर रजिस्ट्रेशन करेगा।

और वह सन्तुष्ट कैसे होगा यह सभी जानते हैं। तो विभाग ने अपनी संतुष्टि के लिए पहले इंस्पेक्टर को सन्तुष्ट करने की शर्त लगा दी है। और इस शर्त से विभाग में भ्रस्टाचार को खुले आम प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जबकि नियोक्ता यदि देरी से रिटर्न भरता है तो वह ब्याज और जुर्माना देने को तैयार है। लेकिन इस तुगलकी फरमान को मानने के लिए तैयार नहीं है।

अतः आपसे पुनः निवेदन है की हमारे पुराने पत्र दिनाँक -(सलग्न ) का संज्ञान लेते हुए उचित एवं व्यावहारिक निर्णय लेकर नया आदेश अविलम्ब जारी करवाने की कृपा करें। ताकि इस समस्या का अविलम्ब समाधान हो सके। हम यह नहीं चाहते हैं की कोई कानूनी कार्यवाही न की जाये लेकिन जो भी की जाये वह व्यावहारिक हो ताकि किसी को कोई समस्या न हो। जबकि सभी से आपको ब्याज और पेनल्टी वसूलने का पूरा अधिकार है और लोग देने को भी तैयार हैं।

इस विषय में एक पत्र लॉ ऑफ़ लेबर एडवॉइजर्स एसोसिएशन उ प्र के प्रदेश अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह ने श्रम मंत्री संतोष गंगवार को लिखा है और अपील की है की इस तुगलकी कानून से नियोक्ताओं और श्रमिकों को मुक्ति दिलवाई जाये।  

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